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क्यों न खुद को ऐसे पैंपर किया जाए..एक बार कोशिश करके, तो देखिए..इसमें सुकून है.‪.‬ Radiovali Ladki- किस्सा,कहानी, कलाकार

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इसके बदले क्यों न खुद को खुश रखने के लिए किसी दूसरे शहर से बेहतर घर के पास वाले गार्डन में जाकर घास के बीच बैठा जाए। क्यों न बस पकड़ कर किसी बीच पर जाकर लहरों के शोर में सुकून खोजा जाए। जहां पर चटाई वाले भैया को 100 रुपए देकर बीच के पास चटाई पर बैठ मूंगफली की गर्माहट का मजा लिया जाए। क्यों न आंख बंद करके सुकून से रेत की गोद में सोया जाए।जब आंख खुले तो आसमान के खाली पन में खुद के सपनों को पिरोया जाए। वो कहते हैं न खुद को खुश रखने के लिए किसी योजना नहीं सुकून जरूर है, जो कि आपके भीतर मुफ्त में छिपी होती है। बस,इसकी खोज कीजिए और खुद को पैम्पर के लिए एक प्याली चाय के साथ पुराने गानों की महफिल सजा दीजिए।

इसके बदले क्यों न खुद को खुश रखने के लिए किसी दूसरे शहर से बेहतर घर के पास वाले गार्डन में जाकर घास के बीच बैठा जाए। क्यों न बस पकड़ कर किसी बीच पर जाकर लहरों के शोर में सुकून खोजा जाए। जहां पर चटाई वाले भैया को 100 रुपए देकर बीच के पास चटाई पर बैठ मूंगफली की गर्माहट का मजा लिया जाए। क्यों न आंख बंद करके सुकून से रेत की गोद में सोया जाए।जब आंख खुले तो आसमान के खाली पन में खुद के सपनों को पिरोया जाए। वो कहते हैं न खुद को खुश रखने के लिए किसी योजना नहीं सुकून जरूर है, जो कि आपके भीतर मुफ्त में छिपी होती है। बस,इसकी खोज कीजिए और खुद को पैम्पर के लिए एक प्याली चाय के साथ पुराने गानों की महफिल सजा दीजिए।

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