Ramkatha by Ritika Ritika Tiwari
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- Religion und Spiritualität
एक ऐसी राम कथा जो सामयिक,लौकिक और तर्कसंगत है।ये किसी अदभुत देश या काल की कहानी नही बल्कि इसी लोक और काल की कहानी है जो हमारे ही जीवन से जुड़ी समस्याओं पर आधारित है।इस कहानी में हमें अपने ही कई सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
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ग्रामीणों से राम की भेंट
सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम में जाते समय राम की वहां के ग्रामीणों से भेंट हुई उन्होंने राम को अपने गांव में आमंत्रित किया।
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धर्मभृत्य का आगमन 90
विराध का अंत करके राम लक्ष्मण सीता और मुखर सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम को जाने लगे तभी रास्ते में उनका परिचय मुनि धर्मभृत्य से हुआ। किस्से उन्हें उस स्थान की पूरी जानकारी मिली।
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विराध का अंत 89
अत्रि ऋषि के आश्रम से दंडक वन की ओर निकलने के बाद रास्ते में राम ,सीता और लक्ष्मण का सामना राक्षस विराध से हुआ ।जिसने सीता को पकड़ लिया था पर राम के पराक्रम के आगे वो अधित देर तक टिक नहीं सका।
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ऋषि शरभंग द्वारा आत्मदाह 88
ऋषि शरभंग ने राक्षसों से तंग आकर आत्मदाह कर लिया था वो अंतिम समय तक राम की राह देख रहे थे ।
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राम द्वारा आगे की योजना बनाना -87
राम ने आगे की योजना बनाते हुए ये तय किया कि वह ब्रह्मचारियो को प्रशिक्षित करके आगे दंडक वन की ओर बढ़ जाएंगे।अब पीड़ितों को स्वयं ही राक्ष्सों का सामना करना होगा।
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कालकाचार्य की विदाई -86
भारी मन से कुलपति कालकाचार्य विदा हो रहे थे।वे जानते थे वे गलत है पर वह अपना स्वभाव भी जानते थे। उन्होंने राम से ब्रह्मचारियो की रक्षा करने का आग्रह किया और विदा हो गए।