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Story Session With Kristin �� kristin sajeev
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- Kinder und Familie
Simple and country side short stories
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Aalsiyon ka aashram
आलसियों का आश्रम: लोक-कथा
एक बार एक राज्य में बहुत सारे लोग आलसी हो गए। उन्होंने सारा कामधाम करना छोड़ दिया। यहाँ तक कि अपने लिए खाना बनाना भी छोड़ दिया और खाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगे। ज्यादातर समय वे लेटे रहते या सोते रहते।
खाने की समस्या का निराकरण जरूरी था क्योंकि इन आलसियों को खिलाने में लोग आनाकानी करने लगे। एक दिन सभी आलसियों ने राजा से मांग की की सभी आलसियों के लिए एक आश्रम बनवाना चाहिए और उनके खाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
राजा नेक और दयालु होने के साथ साथ बुद्धिमान था। उसने कुछ सोचकर मंत्री को एक आश्रम बनाने का आदेश दिया। आश्रम के तैयार होने पर सभी आलसी वहाँ जाकर खाने और सोने लगे। -
Bira Bain (Bahin)
बीरा बैण (बहन) उत्तराखंड की लोक-कथा
बहुत पुरानी बात है। उत्तराखंड के जंगल में एक विधवा बुढ़िया रहती थी। उसके सात बेटे थे और एक प्यारी-सी बेटी थी । बेटी का नाम था बीरा। कुछ दिनों बाद जब बुढ़िया की मृत्यु हो गई, तो उसके ये बच्चे अनाथ हो गए। सातों भाई शिकार खेलने के शौकीन थे।
एक दिन वे सातों भाई मिलकर एक साथ शिकार खेलने निकले। उन्होंने चलते-चलते अपनी बहन बीरा से कहा-तुम हमारे लिए भोजन बनाकर रखना, हम जल्दी लौट कर आ जाएंगे।
भाइयों के जाने के बाद झोंपड़ी में बीरा अकेली रह गई। बीरा ने आग जलाकर खीर बनाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद खीर उबल कर चूल्हे में गिर गई। इससे आग बुझ गई। -
Bhukamp
भूकम्प: नागा लोक-कथा
(कछारी नागा कथा)
(उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में भूकम्प अत्याधिक मात्रा में आते हैं। अतः कछारी नागा आदिवासियों में भूकम्प को लेकर लोककथा का होना स्वभाविक है। कछारी नागा भूकम्प के कारण को लेकर यह कथा कहते हैं -) -
Imandari ka fal
ईमानदारी का फल: तेलुगु/तेलंगाना की लोक-कथा
बहुत पहले की बात है एक राजा सुबह सुबह सैर करने के लिये महल से अकेला ही निकला । रास्ते में उसने देखा, एक किसान पसीने में तर-ब-तर अपने खेत में काम कर रहा है । राजा ने उसके पास जाकर पूछा, 'भाई आप इतनी मेहनत करते हो, दिन में कितना कमा लेते हो ?' किसान ने उत्तर दिया 'एक सोने का सिक्का।' राजा ने पूछा 'उस सोने के सिक्के का क्या करते हो?' किसान ने कहा, 'राजन ! एक चौथाई भाग मैं खुद खाता हूँ। दूसरा चौथाई भाग उधार देता हूँ। तीसरे चौथाई भाग से ब्याज चुकाता हूँ और बाकी चौथाई हिस्सा कुएँ में डाल देता हूँ।' -
Gora Khargosh
गोरा खरगोश: केरल की लोक-कथा
सागर के किनारे एक खरगोश रहता था। वह खरगोश सबसे सफ़ेद था इसलिए सब उसे "गोरा खरगोश" कहते थे। उस खरगोश को दूसरे देशों को देखने की बहुत लगन थी।
एक दिन उस खरगोश ने एक चिड़िया से पूछा-चिड़िया रानी! तुम किस देश से आई हो? वहाँ तुमने क्या-क्या देखा? -
Allah Ki Budhimani
Allah Ki Buddhimani: Lok-Katha (Kashmir)
अल्लाह की बुद्धिमानी कश्मीरी लोक-कथा
एक बार गरमियों में गाँव में एक ऐसा आदमी आया जिसे कोई भी चीज खुश नहीं कर सकती थी। वह आराम करने के लिए अखरोट के एक पेड़ के नीचे बैठ गया। यह पेड़ हर साल खूब फल देता था और अपने मालिक के लिए यह बहुत ही कीमती था। पेड़ के आस-पास की जमीन भी कीमती थी और उसमें कद्दू के पौधे के बीज बोए हुए थे। जब वह आदमी, जिसे कोई खुश नहीं कर सकता, बैठ गया, उसने देखा कि उसके पास में ही एक अधपका कद्दू पल रहा था।