3 min

Kab Tak Geet Sunau Radha - Kumar Vishwas Kavita Path

    • Performing Arts

Listen in to a recitation of the poem "Kab Tak Geet Sunau Radha" written by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं
बंसी छूटी, गोकुल छूटा, कब तक चक्र उठाऊं
पिछले जन्म जानकी तुझ बिन जैसे तैसे बीता
महासमर में रीता रीता, कब तक गाउ गीता
और अभी कितने जन्मों तक तुझे दूर बिताऊं.... कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

बचपन से प्रभुता का बोजा ढोते कटी जवानी
हरपल षडयंत्रो में उलझी सांसे आनी जानी
युगकी आंखे अमृत पीती रही मुझे तक तक कर
अधर मधुर देखे सबने पर पीड़ा न पहचानी
इस पीडाको यार सुदामा कबतक महल दिखाऊ' कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

दो माँ ओने लाड लड़ाया, दो चहेरोने चाहा
फिरभी भरी द्वरिकामे में खुदको लगा पराया
मेरा क्या अपराध के मेरा गाँव गली घर छूटा
आँचलसे बिछडेको जग ने पीताम्बर पहनाया
चाहे जाते जाते भी बंसी मधुर बजाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

जग भरके अपराध सदा हीं, अपने शीश उठाये
रस का माखन समने चाखा, चोर हमी कहलाये
युगके दुर्योधनके जब जब अहंकार को कुचला
दुनिया जीती, गांधारी के शाप हमीने खाये
मुझको गले लगाओ या में ही गले लगाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

In this poem, god Krishna is talking to his beloved Radha. He is lamenting the fact that he has to be away from her for so long, and he is asking her how long he has to keep singing songs to her before she will come back to him.


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Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/kavita-path/message

Listen in to a recitation of the poem "Kab Tak Geet Sunau Radha" written by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं
बंसी छूटी, गोकुल छूटा, कब तक चक्र उठाऊं
पिछले जन्म जानकी तुझ बिन जैसे तैसे बीता
महासमर में रीता रीता, कब तक गाउ गीता
और अभी कितने जन्मों तक तुझे दूर बिताऊं.... कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

बचपन से प्रभुता का बोजा ढोते कटी जवानी
हरपल षडयंत्रो में उलझी सांसे आनी जानी
युगकी आंखे अमृत पीती रही मुझे तक तक कर
अधर मधुर देखे सबने पर पीड़ा न पहचानी
इस पीडाको यार सुदामा कबतक महल दिखाऊ' कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

दो माँ ओने लाड लड़ाया, दो चहेरोने चाहा
फिरभी भरी द्वरिकामे में खुदको लगा पराया
मेरा क्या अपराध के मेरा गाँव गली घर छूटा
आँचलसे बिछडेको जग ने पीताम्बर पहनाया
चाहे जाते जाते भी बंसी मधुर बजाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

जग भरके अपराध सदा हीं, अपने शीश उठाये
रस का माखन समने चाखा, चोर हमी कहलाये
युगके दुर्योधनके जब जब अहंकार को कुचला
दुनिया जीती, गांधारी के शाप हमीने खाये
मुझको गले लगाओ या में ही गले लगाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

In this poem, god Krishna is talking to his beloved Radha. He is lamenting the fact that he has to be away from her for so long, and he is asking her how long he has to keep singing songs to her before she will come back to him.


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