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प्राकृतिक सैनीटायज़र हुआ करती थी गंगा | आलेख: अभय मिश्र, स्वर: नूपुर अशोक
कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच गंगा हमें शायद जैविक हमलों से बचा पाती, अगर उसे बहने दिया जाता। सौ साल भी नहीं हुए निंजा वायरस हमारी गंगा नदी में इफरात पाए जाते थे। वैज्ञानिक इन्हें बैक्टेरियोफाज कहते हैं। संक्रमण फैलने से रोकने में इनका महत्व समझना चाहिए।
आलेख: अभय मिश्र, स्वर: नूपुर अशोक, प्रस्तुति: हिन्दी जंक्शन