50 episodes

Dotaara is an amalgamation of Indian music and poetry. In this podcast, An artist couple sings classic Hindi-Urdu poetry on guitar, flute and other instruments.

Ghazal Saaz is a musical Hindi podcast on top Ghazal singers mixed with music and anecdotes. The music featured is exclusive and is not available on any other platform besides India Today.

बहती हुई नदी की धार हो, किनारे से टकराकर लौटती समंदर की लहरें हों या बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते, सब में संगीत है. संगीत यानि सुकून और इसी सुकून से तैयार दो बेहद ख़ास सीरीज़ 'गज़लसाज़' और 'दो तारा' सुनिए रविवार को आज तक रेडियो पर.

Music Dotara & Ghazal Saaz Aaj Tak Radio

    • Music

Dotaara is an amalgamation of Indian music and poetry. In this podcast, An artist couple sings classic Hindi-Urdu poetry on guitar, flute and other instruments.

Ghazal Saaz is a musical Hindi podcast on top Ghazal singers mixed with music and anecdotes. The music featured is exclusive and is not available on any other platform besides India Today.

बहती हुई नदी की धार हो, किनारे से टकराकर लौटती समंदर की लहरें हों या बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते, सब में संगीत है. संगीत यानि सुकून और इसी सुकून से तैयार दो बेहद ख़ास सीरीज़ 'गज़लसाज़' और 'दो तारा' सुनिए रविवार को आज तक रेडियो पर.

    सौ साल पहले की महिला कलाकारों का संघर्ष हमसे बहुत बड़ा था : S9, Ep 7

    सौ साल पहले की महिला कलाकारों का संघर्ष हमसे बहुत बड़ा था : S9, Ep 7

    शुभा मुद्गल हिंदुस्तानी म्यूज़िक का एक अहम नाम हैं. उनकी ज़िंदगी के क़िस्सों और खूबसूरत गायकी को समेटा हमनें 'गज़लसाज़' के इस खास सीज़न में. सुनिए इस सीज़न का आख़िरी एपिसोड. इस एपिसोड में बात हुई हैं शुभा मुद्गल की ज़िंदगी के संघर्ष की, वो क्या मानती हैं पुराने दौर की महिलाओं के संघर्ष के बारे में... सुनिए गज़लसाज़ के इस ख़ास एपिसोड में, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से

    • 24 min
    जिस गीत को गाया उसे अपना बना लिया : ग़ज़लसाज़ S9 Ep 6

    जिस गीत को गाया उसे अपना बना लिया : ग़ज़लसाज़ S9 Ep 6

    शुभा मुद्गल की ख़ासियत यही है कि उन्होंने जिस गीत को अपनी आवाज़ से सजाया वो चाहे कितने भी सिंगर्स ने पहले गाया हो लेकिन फिर वो उन्हीं का होकर रह गया। आज भी उनके गाए हुए पुराने गीत जब गूंजते हैं तो गुज़रा हुआ दौर उनकी आवाज़ में लिपटकर आंखों के सामने आ जाता है। शुभा मुद्गल के कुछ ऐसे ही गीतों को सुनिए 'गज़लसाज़' में और उनके बारे में ज़िक्र कर रहे हैं जमशेद कमर सिद्दीक़ी.

    • 31 min
    हर बार अपनी गायकी से कैसे चौंका देती हैं शुभा मुद्गल? : ग़ज़लसाज़ S9E5

    हर बार अपनी गायकी से कैसे चौंका देती हैं शुभा मुद्गल? : ग़ज़लसाज़ S9E5

    एक कलाकार तबतक प्रासंगिक रहता है जब तक वो अपना सरप्राइज़ एलिमेंट नहीं खोता. प्रशंसक हर बार ये सोचते हैं कि इस बार क्या होगा? और ये कमाल तभी हो पाता है जब आर्टिस्ट के पास रेंज हो. शुभा मुद्गल के पास ज़बरदस्त रेंज है. वो पॉप भी गाती हैं, क्लासिकल भी. गज़लसाज़ के इस पॉडकास्ट में ज़िक्र शुभा जी की शानदार गायकी का. सुनिए जमशेद कमर सिद्दीक़ी से.

    • 27 min
    जब स्टेज पर गाते-गाते हंसी नहीं रोक पाईं शुभा मुद्गल : ग़ज़लसाज़, S9 E4

    जब स्टेज पर गाते-गाते हंसी नहीं रोक पाईं शुभा मुद्गल : ग़ज़लसाज़, S9 E4

    एक स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान गाने में एक ऐसा शब्द आया कि शुभा जी की नज़रें स्टेज पर ही बैठे तबला बजे रहे उनके पति अनीश प्रधान साहब से जा टकराईं और फिर दोनों अपनी हंसी नहीं रोक पाए। इस हंसी की वजह क्या थी? और शुभा जी की माँ अपनी बेटी में अपनी माँ यानि शुभा जी की नानी का कौन सा अक्स देखती थीं? बता रहे हैं जमशेद कमर सिद्दीक़ी 'गज़लसाज़' के इस बेहद ख़ास पॉडकास्ट में.

    • 37 min
    जब यूनिवर्सिटी में फैज़ के सामने शुभा मुद्गल ने पढ़ी उन्हीं की गज़ल : ग़ज़लसाज़, S9 E3

    जब यूनिवर्सिटी में फैज़ के सामने शुभा मुद्गल ने पढ़ी उन्हीं की गज़ल : ग़ज़लसाज़, S9 E3

    इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में मशहूर 'शायर ए इंकलाब' फैज़ अहमद फैज़ आए हुए थे। 22 साल की शुभा मुद्गल को इस कार्यक्रम में गज़ल पढ़नी थी लेकिन जिस कागज़ पर उन्होंने गज़ल दर्ज की थी, उस पर फैज़ की नज़र पड़ गयी। पर्ची देखकर फैज़ साहब ने शुभा मुद्गल से क्या सवाल किया था? सुनिए 'गज़लसाज़' के इस एपिसोड में, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से

    • 38 min
    आवाज़ जिसने क्लासिकल म्यूज़िक को 'कूल' बना दिया : ग़ज़लसाज़, S9 E2

    आवाज़ जिसने क्लासिकल म्यूज़िक को 'कूल' बना दिया : ग़ज़लसाज़, S9 E2

    शुभा मुद्गल वो आवाज़ है जिसने साल 1996 में 'अली मोरे अंगना' गाने के साथ नौजवानों के दिल में शास्त्रीय संगीत के लिए मुहब्बत पैदा की। अपनी आवाज़ और अंदाज़ से दशकों तक हिंदुस्तान की तहज़ीब की खुश्बू को दुनिया में बिखेरने वाली शुभा मुद्गल की ज़िंदगी के बारे में सुनिए कुछ ख़ास क़िस्से और कुछ खनकते हुए गीत उन्हीं की आवाज़ में, सिर्फ गज़लसाज़ में, जमशेद कमर सिद्दीक़ी के साथ.

    • 39 min

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