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अब तक की सबसे बड़ी कहानी ‪।‬ Saccha Jeevan

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अब तक की सबसे बड़ी कहानी ।
अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया , और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल - मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है । ( २कुरिंथियो ५ ; १९ ) । कलीसिया में बहुत से लोग वास्तव में यीशु मसीह के सुसमाचार को नहीं समझते है । आप सुसमाचार को समझकर इसकी सच्चाई के द्वारा उत्साहीत और विवश हुए बिना नहीं रह सकते । यह एक धारणा नही है ; यह एक परीयो की कहानी नही है ; सुसमाचार वास्तविक और अद्भुत है । इसके विषय में सोचीए : मसीह यीशु पापीयो को बचाने के लिए आया ; परमेश्वर शरीर में इस विश्व में आया , पापी मनुष्य का स्थान लेने के लिए । वह कूस पर लटकाया गया , गाढ़ा गया और मृत्यु से जी उठा और वह आज भी जीवित है । जो कुछ उसने कूस पर किया वह पूरे विश्व के लिए था । जब वह कूस पर मरा , हम उसमें मरे । जब वह गाढ़ा गया हम उस में गाढ़े गए । जब परमेश्वर ने उसको जीवित किया, हम उसके साथ जीवित किए गए । आज , क्योंकि वह जीवित है तो हम भी जीवित है । कितनी अद्भुत कहानी ! जो पाप से अज्ञात था वही हमारे लिए पाप बना, ताकि हम उसमें होकर परमेश्वर की सत्यनिष्ठा बन जाएँ ! हमारा आरंभिक वचन कहता है , “ अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल - मिलाप कर लिया , और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया, और उस ने मेल - मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है " । मैं सुसमाचार की सच्चाई के द्वारा विवश हूँ कि कभी हम सब मरे हुए थे , परमेश्वर के जीवन से कटे हुए थे , अब हम मसीह में जीवित है । कितनी अद्भुत आशा ! कितना अद्भुत संदेश ! पूरे विश्व में ऐसा कुछ भी नहीं है ; यह अब तक की सबसे बढ़ी कहानी है । यह आने वाले कल जितनी ताजी है ! यह सोचना कि यह वही सुसमाचार है जिसको हमारे पूर्वज अब्राहम , इसहाक , याकूब देख रहे थे ! यही वह सुसमाचार है जो मूसा , दाऊद , औ

अब तक की सबसे बड़ी कहानी ।
अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया , और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल - मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है । ( २कुरिंथियो ५ ; १९ ) । कलीसिया में बहुत से लोग वास्तव में यीशु मसीह के सुसमाचार को नहीं समझते है । आप सुसमाचार को समझकर इसकी सच्चाई के द्वारा उत्साहीत और विवश हुए बिना नहीं रह सकते । यह एक धारणा नही है ; यह एक परीयो की कहानी नही है ; सुसमाचार वास्तविक और अद्भुत है । इसके विषय में सोचीए : मसीह यीशु पापीयो को बचाने के लिए आया ; परमेश्वर शरीर में इस विश्व में आया , पापी मनुष्य का स्थान लेने के लिए । वह कूस पर लटकाया गया , गाढ़ा गया और मृत्यु से जी उठा और वह आज भी जीवित है । जो कुछ उसने कूस पर किया वह पूरे विश्व के लिए था । जब वह कूस पर मरा , हम उसमें मरे । जब वह गाढ़ा गया हम उस में गाढ़े गए । जब परमेश्वर ने उसको जीवित किया, हम उसके साथ जीवित किए गए । आज , क्योंकि वह जीवित है तो हम भी जीवित है । कितनी अद्भुत कहानी ! जो पाप से अज्ञात था वही हमारे लिए पाप बना, ताकि हम उसमें होकर परमेश्वर की सत्यनिष्ठा बन जाएँ ! हमारा आरंभिक वचन कहता है , “ अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल - मिलाप कर लिया , और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया, और उस ने मेल - मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है " । मैं सुसमाचार की सच्चाई के द्वारा विवश हूँ कि कभी हम सब मरे हुए थे , परमेश्वर के जीवन से कटे हुए थे , अब हम मसीह में जीवित है । कितनी अद्भुत आशा ! कितना अद्भुत संदेश ! पूरे विश्व में ऐसा कुछ भी नहीं है ; यह अब तक की सबसे बढ़ी कहानी है । यह आने वाले कल जितनी ताजी है ! यह सोचना कि यह वही सुसमाचार है जिसको हमारे पूर्वज अब्राहम , इसहाक , याकूब देख रहे थे ! यही वह सुसमाचार है जो मूसा , दाऊद , औ

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