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मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा प्रतिस्थापन ‪।‬ Saccha Jeevan

    • Daily News

मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा प्रतिस्थापन । परंतु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया , वह हमारे अधर्म के कामो के कारण कुचला गया ; हमारी ही शांति के लिये उस पर ताडना पडी . . . ( यशायाह ५३ ; ५ ) । प्रभु यीशु ने कष्ट उठाया और कूस के दर्द और लज्जा को भी सहा , अपने खुद के पापो या अपने लिए नही किंतु हमारे लिए । उसने हमारा स्थान लिया और हमारे बदले में पापो का दंड उठाया । जब वह कूस पर था ,तो हमारे पापो के बोझ के तले वह दर्द में चिल्लाया , " . . . हे मेरे परमेश्वर , हे मेरे परमेश्वर , तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया ? ( मरकुस १५ ; ३४ ) । परमेश्वर ने यीशु से अपना मुँह मोड लिया क्योंकि हमारे पाप उस पर लादे गए थे । हबक्कूक १ ; १३ हमे बताता है कि परमेश्वर पवित्र है और वह अधर्म को नहीं देख सकता । हमारे पापो के कारण पिता से दूर होना ही वह बात थी, जो यीशु कभी नही चाहता था , जिसके लिए उसने गतसमनी के बगीचे में प्रार्थना की , " . . . पिता , यदि हो सके तो यह कटोरा मुझ से टल जाए , तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं , परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो ” ( मत्ती २६ ; ३९ ) । परमेश्वर की इच्छा प्रबल हुई ; यीशु क्रूस पर मरा , और नरक में गया । वह दर्द से गुजरा । जब उसने सब आवश्यक दंड सह लिया , तो बाइबल कहती है कि वह आत्मा में सत्यनिष्ठ ठहरा ( १ तीमुथियुस ३ ; १६ ) , और वह जीवन में वापिस लाया गया । वह हमारी निर्दोषता के लिए जीवन में वापिस उठाया गया : “ वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया , और हमारे सत्यनिष्ठ ठहरने के लिये जिलाया भी गया " ( रोमियो ४ ; २५ ) । निर्दोष होने का मतलब है बाईज्जत बरी होना ; सत्यनिष्ठ घोषित किया जाना । वह मृत्यु में और उसी तरह पुनरुत्थान में भी हमारा प्रतिस्थापन था । जब वह मरा , आप उसके साथ मरे ; जब वह गाढ़ा गया तो आप उसके साथ गाढ़े गए, और जब परमेश्वर ने उसे मरे हुओ में से जिंदा किया तो आ

मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा प्रतिस्थापन । परंतु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया , वह हमारे अधर्म के कामो के कारण कुचला गया ; हमारी ही शांति के लिये उस पर ताडना पडी . . . ( यशायाह ५३ ; ५ ) । प्रभु यीशु ने कष्ट उठाया और कूस के दर्द और लज्जा को भी सहा , अपने खुद के पापो या अपने लिए नही किंतु हमारे लिए । उसने हमारा स्थान लिया और हमारे बदले में पापो का दंड उठाया । जब वह कूस पर था ,तो हमारे पापो के बोझ के तले वह दर्द में चिल्लाया , " . . . हे मेरे परमेश्वर , हे मेरे परमेश्वर , तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया ? ( मरकुस १५ ; ३४ ) । परमेश्वर ने यीशु से अपना मुँह मोड लिया क्योंकि हमारे पाप उस पर लादे गए थे । हबक्कूक १ ; १३ हमे बताता है कि परमेश्वर पवित्र है और वह अधर्म को नहीं देख सकता । हमारे पापो के कारण पिता से दूर होना ही वह बात थी, जो यीशु कभी नही चाहता था , जिसके लिए उसने गतसमनी के बगीचे में प्रार्थना की , " . . . पिता , यदि हो सके तो यह कटोरा मुझ से टल जाए , तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं , परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो ” ( मत्ती २६ ; ३९ ) । परमेश्वर की इच्छा प्रबल हुई ; यीशु क्रूस पर मरा , और नरक में गया । वह दर्द से गुजरा । जब उसने सब आवश्यक दंड सह लिया , तो बाइबल कहती है कि वह आत्मा में सत्यनिष्ठ ठहरा ( १ तीमुथियुस ३ ; १६ ) , और वह जीवन में वापिस लाया गया । वह हमारी निर्दोषता के लिए जीवन में वापिस उठाया गया : “ वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया , और हमारे सत्यनिष्ठ ठहरने के लिये जिलाया भी गया " ( रोमियो ४ ; २५ ) । निर्दोष होने का मतलब है बाईज्जत बरी होना ; सत्यनिष्ठ घोषित किया जाना । वह मृत्यु में और उसी तरह पुनरुत्थान में भी हमारा प्रतिस्थापन था । जब वह मरा , आप उसके साथ मरे ; जब वह गाढ़ा गया तो आप उसके साथ गाढ़े गए, और जब परमेश्वर ने उसे मरे हुओ में से जिंदा किया तो आ

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