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विश्वास का जानना‪।‬ Saccha Jeevan

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विश्वास का “ जानना " ।
अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय , और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है ( इब्रानियो ११ ; १ ) । प्रभु के साथ हमारा संबंध विश्वास का है । इससे अंतर नही पडता है कि आप बाहर से कैसा “ महसूस करते है ; भौतिक भावनाओं का इससे कोई लेनादेना नहीं है । अधिकतर , उसके साथ और उसका हमारा अनुभव मानविय शब्दो के द्वारा नहीं बताया जा सकता ; किंतु फिर भी यह एक गहरा आंतरिक “ ज्ञान है " , आपकी आत्मा में एक जागरुकता । यह मरकुस ५ में मुझे उस महिला की बात याद दिलाता है जिसको लहू की परेशानि थी । वह बारह साल से रक्त बहने की परेशानि से पीड़ित थी , और डॉक्टर भी उसकी सहायता नही कर पा रहे थे । बाइबल कहती है , “ वह यीशु की चर्चा सुनकर भीड़ में उसके पीछे से आयी और उसके वस्त्र को छू लिया ... और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया , और उसने अपनी देह में जान लिया कि मैं उस बीमारी से चंगी हो गई हूँ ". ( मरकुस ५ ; २७-२९ ) । उसे कैसे पता था कि वह “ भावना ” जो उसने अपने शरीर में महसूस की थी वह चंगाई की थी ? यह उसका काम करता हुआ विश्वास था ! बाइबल नही कहती है “ उसने लहू को रुकते हुए देखा ” , किंतु यह कि , “ उसने अपने शरीर में जान लिया कि वह चंगी हो गई थी । " यह विश्वास की भावना है । उसी तरिके से प्रेरितो के काम के तीसरें अध्याय में मंदिर के सुंदर नामक द्वार पर लंगड़े व्यक्ति के साथ भी यही हुआ । जब पतरस ने उसको चंगाई दी , बाइबल कहती है , कि उसके टखनो और हड्डियो में बल आ गया ( प्रेरितो के काम ३ ; ७ ) । हड्डियों में भावना नहीं होती , तो यह एक भौतिक “ भावना ” नही हो सकती । किंतु कुछ उसके पैरो और हड्डियो में गया , और परमेश्वर जानता था , और उसने कहा कि उसके हड्डियो और टखनो में बल आ गया । परिणाम यह हुआ कि वह मनुष्य कूदा और चलने लगा । उसका विश्वास कार्य कर रहा था ; उसने उत्तर दिया , और उसके उ

विश्वास का “ जानना " ।
अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय , और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है ( इब्रानियो ११ ; १ ) । प्रभु के साथ हमारा संबंध विश्वास का है । इससे अंतर नही पडता है कि आप बाहर से कैसा “ महसूस करते है ; भौतिक भावनाओं का इससे कोई लेनादेना नहीं है । अधिकतर , उसके साथ और उसका हमारा अनुभव मानविय शब्दो के द्वारा नहीं बताया जा सकता ; किंतु फिर भी यह एक गहरा आंतरिक “ ज्ञान है " , आपकी आत्मा में एक जागरुकता । यह मरकुस ५ में मुझे उस महिला की बात याद दिलाता है जिसको लहू की परेशानि थी । वह बारह साल से रक्त बहने की परेशानि से पीड़ित थी , और डॉक्टर भी उसकी सहायता नही कर पा रहे थे । बाइबल कहती है , “ वह यीशु की चर्चा सुनकर भीड़ में उसके पीछे से आयी और उसके वस्त्र को छू लिया ... और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया , और उसने अपनी देह में जान लिया कि मैं उस बीमारी से चंगी हो गई हूँ ". ( मरकुस ५ ; २७-२९ ) । उसे कैसे पता था कि वह “ भावना ” जो उसने अपने शरीर में महसूस की थी वह चंगाई की थी ? यह उसका काम करता हुआ विश्वास था ! बाइबल नही कहती है “ उसने लहू को रुकते हुए देखा ” , किंतु यह कि , “ उसने अपने शरीर में जान लिया कि वह चंगी हो गई थी । " यह विश्वास की भावना है । उसी तरिके से प्रेरितो के काम के तीसरें अध्याय में मंदिर के सुंदर नामक द्वार पर लंगड़े व्यक्ति के साथ भी यही हुआ । जब पतरस ने उसको चंगाई दी , बाइबल कहती है , कि उसके टखनो और हड्डियो में बल आ गया ( प्रेरितो के काम ३ ; ७ ) । हड्डियों में भावना नहीं होती , तो यह एक भौतिक “ भावना ” नही हो सकती । किंतु कुछ उसके पैरो और हड्डियो में गया , और परमेश्वर जानता था , और उसने कहा कि उसके हड्डियो और टखनो में बल आ गया । परिणाम यह हुआ कि वह मनुष्य कूदा और चलने लगा । उसका विश्वास कार्य कर रहा था ; उसने उत्तर दिया , और उसके उ

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