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DR RAHAT INDORI। Zubaan-E-Madhav/ Urdu Poetry Zubaan-E-Madhav

    • Performing Arts

' मैं मर जाऊ तोह मेरी अलग एक पहचा लिख देना, मेरे लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना' - यह थे, ड्र राहत इंदौरी। मुशायरों में इनको जो मुकाम हासिल है वह हैरत ज़दा है। कुछ ऐसे शेर जो रूह तक को झंझोड के रख दे। पहला मुकाम ऐसे अफसाने के नाम।

' मैं मर जाऊ तोह मेरी अलग एक पहचा लिख देना, मेरे लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना' - यह थे, ड्र राहत इंदौरी। मुशायरों में इनको जो मुकाम हासिल है वह हैरत ज़दा है। कुछ ऐसे शेर जो रूह तक को झंझोड के रख दे। पहला मुकाम ऐसे अफसाने के नाम।

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