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Delta plus variant ne badhai corona ki taqat‪.‬ 36 Knowledge Hub

    • Autoajuda

दोस्तों आपने तो सुना ही होगा कि कोरोनावायरस खुद को लगातार म्यूटेट कर रहा है और पहले से ज्यादा स्ट्रांग होता जा रहा है। अभी तक कोरोनावायरस के कई वैरीएंट्स का पता चल चुका है जिनमें मुख्य रुप से अल्फा वेरिएंट बीटा वेरिएंट और डेल्टा वैरीअंट रहे हैं। जहां अल्फा वैरीअंट ने इंग्लैंड में दूसरी लहर को अंजाम दिया वही बीटा वेरिएंट ने साउथ अफ्रीका में हाहाकार मचाया, डेल्टा वेरिएंट को भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार बताया गया जिससे लाखों लोग काल के गाल में समा गए और अब डेल्टा के ही एक और वेरिएंट में साउथ अफ्रीका के बीटा वर्जन का एक म्यूटेशन K417N पाया गया है जिसे डेल्टा प्लस का नाम दिया गया है इसी डेल्टा प्लस नाम के वैरीअंट को भारत में आने वाली तीसरी लहर का कारण माना जा रहा है

तो आखिर डेल्टा प्लस वेरिएंट में ऐसा क्या है कि डब्ल्यूएचओ के बाद भारत सरकार ने इस वैरीअंट को वैरीअंट ऑफ कंसर्न का तमगा दे दिया है?
दरअसल वायरस के फैलने की शक्ति को उसके आर नोट के हिसाब से जाना जाता है। जहां कोरोना वायरस के शुरूवाती वेरिएंट का आर नोट 2.5 था वही अल्फा का 4:00 से 5:00 के बीच हुआ जो डेल्टा तक पहुंचते-पहुंचते 8:00 तक हो गया। आसान शब्दों में कहें तो कोरोनावायरस अपने शुरुआती वेरिएंट्स के मुकाबले 3 गुना ज्यादा संक्रामक हो चुका है। इसका मतलब अगर कोई व्यक्ति डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित है तो पहले के मुकाबले 3 गुना ज्यादा लोगों को संक्रमित भी कर सकता है।

दूसरा कारण इस वैरीअंट की बाइंडिंग कैपेसिटी पहले से कहीं ज्यादा है। बाइंडिंग कैपेसिटी वायरस कि आप के लंग्स में चिपकने और उसको संक्रमित करने की ताकत को कहा जाता है। डेल्टा प्लस वेरिएंट की बाइंडिंग कैपेसिटी कोरोनावायरस के पिछले वेरिएंट्स के मुकाबले दोगुना से भी अधिक है। तो दोस्तों आप खुद सोच सकते हैं कि ज

दोस्तों आपने तो सुना ही होगा कि कोरोनावायरस खुद को लगातार म्यूटेट कर रहा है और पहले से ज्यादा स्ट्रांग होता जा रहा है। अभी तक कोरोनावायरस के कई वैरीएंट्स का पता चल चुका है जिनमें मुख्य रुप से अल्फा वेरिएंट बीटा वेरिएंट और डेल्टा वैरीअंट रहे हैं। जहां अल्फा वैरीअंट ने इंग्लैंड में दूसरी लहर को अंजाम दिया वही बीटा वेरिएंट ने साउथ अफ्रीका में हाहाकार मचाया, डेल्टा वेरिएंट को भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार बताया गया जिससे लाखों लोग काल के गाल में समा गए और अब डेल्टा के ही एक और वेरिएंट में साउथ अफ्रीका के बीटा वर्जन का एक म्यूटेशन K417N पाया गया है जिसे डेल्टा प्लस का नाम दिया गया है इसी डेल्टा प्लस नाम के वैरीअंट को भारत में आने वाली तीसरी लहर का कारण माना जा रहा है

तो आखिर डेल्टा प्लस वेरिएंट में ऐसा क्या है कि डब्ल्यूएचओ के बाद भारत सरकार ने इस वैरीअंट को वैरीअंट ऑफ कंसर्न का तमगा दे दिया है?
दरअसल वायरस के फैलने की शक्ति को उसके आर नोट के हिसाब से जाना जाता है। जहां कोरोना वायरस के शुरूवाती वेरिएंट का आर नोट 2.5 था वही अल्फा का 4:00 से 5:00 के बीच हुआ जो डेल्टा तक पहुंचते-पहुंचते 8:00 तक हो गया। आसान शब्दों में कहें तो कोरोनावायरस अपने शुरुआती वेरिएंट्स के मुकाबले 3 गुना ज्यादा संक्रामक हो चुका है। इसका मतलब अगर कोई व्यक्ति डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित है तो पहले के मुकाबले 3 गुना ज्यादा लोगों को संक्रमित भी कर सकता है।

दूसरा कारण इस वैरीअंट की बाइंडिंग कैपेसिटी पहले से कहीं ज्यादा है। बाइंडिंग कैपेसिटी वायरस कि आप के लंग्स में चिपकने और उसको संक्रमित करने की ताकत को कहा जाता है। डेल्टा प्लस वेरिएंट की बाइंडिंग कैपेसिटी कोरोनावायरस के पिछले वेरिएंट्स के मुकाबले दोगुना से भी अधिक है। तो दोस्तों आप खुद सोच सकते हैं कि ज

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