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नर हो ना निराश करो मन को। Humsafar
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हिन्दी राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित यह कविता "नर हो ना निराश करो मन को" इस निराशा से भरे समय हम सब के लिए आशा और उम्मीद की किरण हो सकती। मैं आशा करता हूं कि आपको यह कविता जरूर प्रेरित करेगी और आपको अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव और सोच लाने को भी प्रेरित करेगी। धन्यवाद 🙏
हिन्दी राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित यह कविता "नर हो ना निराश करो मन को" इस निराशा से भरे समय हम सब के लिए आशा और उम्मीद की किरण हो सकती। मैं आशा करता हूं कि आपको यह कविता जरूर प्रेरित करेगी और आपको अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव और सोच लाने को भी प्रेरित करेगी। धन्यवाद 🙏
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