
20 episodes

महाभारत की सम्पूर्ण कथा |The Mahabharata Mahabharat : महाभारत
-
- Religion & Spirituality
महाभारत की सम्पूर्ण कथा - १८ पर्व (१०० उपपर्व)|
महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं।विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह कथाओं का भंडार है।
इस शृंखला में ४०० से भी अधिक एपिसोड्ज (episodes) के माध्यम से महाभारत की सम्पूर्ण कथा सुनाई जाएगी।
-
महाभारत की कथा - भाग १
महाभारत की सम्पूर्ण कथा के इस पहले भाग में हम इस महान ग्रंथ के लिखने की कथा जानेंगे तथा इसके रचयिता के जन्म से जुड़ी रोचक कथा सुनेंगे। महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं।विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है।
-
महाभारत की कथा - भाग २
यह महाभारत की कथा के पाठ का दूसरा भाग है। इसमें आदिपर्व के अंतर्गत आने वाले पौष्य पर्व नामक तीसरे अध्याय का पाठ किया गया है। इस पाठ में जनमेजय को सरमा का शाप और आरुणि, उपमन्यु तथा वेद की गुरुभक्ति की कथाएँ सुनाई गई हैं।
-
महाभारत की कथा - भाग ३
यह महाभारत की कथा का तीसरा भाग है। इसमें आदिपर्व - पौष्य पर्व नामक तीसरे अध्याय का पाठ किया गया है। इस अध्याय का पाठ पिछले भाग में आरंभ किया गया था। इस भाग में इस का समापन किया गया है। इस भाग में आचार्य वेद के शिष्य उत्तंक की गुरुभक्ति की कथा है। और इसी भाग में उत्तंक का नागराज तक्षक से बैर रख बदला लेने के भाव से सर्पों के नाश के लिए राजा जनमेजय को सर्पयज्ञ के लिए को प्रोत्साहन देने का प्रसंग भी सुनाया गया है।
-
महाभारत की कथा - भाग ४
यह महाभारत की कथा के पाठ का चौथा भाग है। इसमें आदिपर्व के अंतर्गत आने वाले पौलोम पर्व ( तीसरे - सातवें अध्याय) का पाठ किया गया है। यह सर्प यज्ञ के कारण और उसमें सर्पों के विनाश के बारे में बताता है। इसके महत्वपूर्ण प्रसंग महर्षि च्यवन और रुरु मुनि के हैं। महर्षि च्यवन की कहानी में अग्नि देवता की सर्वभक्षी शक्ति का वर्णन किया गया है।
-
महाभारत की कथा - भाग ५
यह महाभारत की कथा के पाठ का पाँचवा भाग है। इसमें आदिपर्व के अंतर्गत आने वाले पौलोम-पर्व (आठवें - बारहवें अध्याय) का पाठ किया गया है। इसमें जो कथाएँ सुनाई गई हैं, वे हैं - विवाह के पहले ही साँप के काटने से प्रमद्वरा की मृत्यु, रुरु का सर्पों को मारने का निश्चय और डुण्डुभ की आत्मकथा तथा उसके द्वारा रुरु को अहिंसा उपदेश।
-
महाभारत की कथा - भाग ६
यह महाभारत की कथा के पाठ का छठवाँ भाग है। इसमें आदिपर्व के अंतर्गत आने वाले आस्तीक पर्व (अध्याय १३-१६ ) का पाठ किया गया है। इसमें जो कथाएँ सुनाई गई हैं, वे हैं:
पितरों का जरत्कारु से विवाह करने का निवेदन, जरत्कारु द्वारा वासुकि की बहिन का पाणिग्रहण और आस्तीक के जन्म की कथा।