Kadak Chai HT Smartcast
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- Culture et société
अचार, चटनी, पापड़, मेनीक्योर, पेडिक्योर और परिवार की देखभाल कैसे करें…., यही स्त्रियों के मुद्दे नहीं हैं। आधी आबादी को हक है दुनिया के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बात खुलकर रखने का। हेल्थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्ट ‘कड़क चाय’ में दिमाग के इन्हीं पर्दों को उठाने आ रहीं हैं स्त्री अधिकारों की पैरोकार और एक्टिविस्ट प्रो. सुजाता। तो सुनते रहिए हर सोमवार कड़क चाय।
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कड़क चाय, एपिसोड - 6 | खुद से एक नया परिचय करवाती है घुमक्कड़ी
तयशुदा रास्तों पर चलने से बहुत अलग होता है, किसी नए रास्ते की खोज करना। ड्राइवर के बिना कभी खुद गाड़ी लेकर लंबी यात्रा पर निकलना या कभी किसी ऐसी जगह पर पहुंच जाना, जहां जाने का कभी सपना भी नहीं देखा था। कड़क चाय के इस एपिसोड में सुजाता बता रहीं हैं औरतों के लिए क्यों जरूरी है घुमक्कड़ी।
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कड़क चाय, एपिसोड – 5 | कब से शुरू हुई स्त्री अंगों की ये लोकल-ग्लोबल प्रोसेसिंग
बात बस कपड़ों, अदाओं, घुटनों या राजनीतिक जुमलेबाजी की नहीं है, ये कुछ और मामला है। पुरुष पर बात हमेशा उसके संपूर्ण व्यक्तित्व की होती है, जबकि स्त्री के मामले में पहले उसके टुकड़े किए जाते हैं, फिर उनकी व्याख्या। तो आखिर कब से शुरू हुई स्त्री अंगों की ये लोकल–ग्लोबल प्रोसेसिंग, सुनते हैं हेल्थशॉट्स पॉडकास्ट कड़क चाय के इस एपिसोड में डॉ. सुजाता के साथ।
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कड़क चाय, एपिसोड -4 | सब मर्द बुरे नहीं होते, तो बुराई को रोकते क्यों नहीं
निर्भया के अपराधियों को फांसी की मांग से लेकर वैवाहिक बलात्कार तक, कई बार बढ़ती बहस के बीच कोई अचानक बोल पड़ता है, ‘नॉट ऑल मैन’, यानी सब पुरुष ऐसे नहीं होते। इस बहस को रोकने वाला, मोड़ने वाला कौन था? आपका सहकर्मी, परिवार का कोई सदस्य या फिर आपका पार्टनर। तो सुनिए क्यों स्त्री अधिकार की राह में घातक हैं पुरुषों की ये भावनात्मक आपत्तियां। हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट ‘कड़क चाय’ के इस एपिसोड में सुजाता के साथ।
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कड़क चाय, एपिसोड -3 | कहीं आप भी ‘थैंक यू’ की जगह ‘लव यू’ तो नहीं कह रहीं
सेक्स किन्हीं भी दो व्यक्तियों का नितांत निजी मामला है। पर इसमें दोनों की सहमति और आनंद मायने रखता है। वह रूठ न जाए, वह किसी और को न चाहने लग जाए, वह मेरा साथ न छोड दे या वे मुझे अहसान फरामोश न मानने लग जाएं… इस तरह के दबाव जब आपको सेक्स के लिए तैयार करते हैं, तो यकीनन यह आपकी मेंटल हेल्थ को आज नहीं तो कल बहुत नुकसान पहुंचाने वाले हैं। कड़क चाय के इस तीसरे एपिसोड में सुजाता कर रहीं हैं सेक्स के लिए चालाकी से बनाए जाने वाले दबावों पर बात।
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कड़क चाय, एपिसोड - 2 | पुराने फ्रेम तोड़कर ही बनती हैं कुछ खास औरतें
शरीर के माप से लेकर कॅरियर, शादी और बच्चे पैदा करने की उम्र तक यहां बहुत सारे फ्रेम सेट कर दिए गए हैं, जो ये बताते हैं कि क्या सही है और क्या नहीं। पर इन सलाह देने वालों को सुजाता बता रही हैं कि कैसी होती है एक आजाद औरत की निर्मिति – हेल्थशॉट्स पॉडकास्ट कड़क चाय के इस दूसरे एपिसोड में।
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1: कड़क चाय, एपिसोड-1 | अपनी पुरखिनों के संघर्ष को सलाम करने का दिन है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
हर दिन तो महिलाओं का है, फिर कोई एक खास दिन क्यों? क्या किसी फैशन ब्रांड की सेल या रेस्तरां पर मिलने वाली छूट का नाम है 8 मार्च? न, यह कुछ और भी है। ये उस गूंगी समझी जाने वाली गुड़िया की जीत की कहानी है, जिससे यूरोप के प्रगतिशील देशों में भी आधी तनख्वाह पर काम लिया जाता था। हमारी पुरखिनें न लड़ती तो हम आज भी दोयम दर्जे की नागरिक होतीं। हेल्थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्ट ‘कड़क चाय’ के इस पहले एपिसोड में सोशल एक्टिविस्ट और लेखिका प्रो. सुजाता अपनी पिछली पीढ़ी के इसी संघर्ष को कर रहीं हैं बयां।