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Hamare aaspaas bahut si kahaniyaan hain . Kahi mulyon se jodti to kahi bikhrav se jhanjhorti hain ye kahaniyan...
Jo Dil Ko chho jaye....vahi hai meri Kalam ka prayas ...

Kalam Bolti Hai Paramjit kaur

    • Arte

Hamare aaspaas bahut si kahaniyaan hain . Kahi mulyon se jodti to kahi bikhrav se jhanjhorti hain ye kahaniyan...
Jo Dil Ko chho jaye....vahi hai meri Kalam ka prayas ...

    दोस्ती.. एक अहसास! written and narrated by Paramjit kaur

    दोस्ती.. एक अहसास! written and narrated by Paramjit kaur

    इस भागती -दौड़ती ज़िंदगी में बहुमूल्य है दोस्ती,
    जो अकेले में भी चेहरे पर मुस्कान ले आए,
    वही तो है दोस्ती...!

    • 2 min
    ईदगाह -मुंशी प्रेमचंद

    ईदगाह -मुंशी प्रेमचंद

    अमर कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी ने इस कहानी में एक बच्चे की भावनाओं को जिस प्रकार पेश किया है.. वह बेमिसाल है। हर बार यह कहानी नई अनुभूति देती है।

    • 33 min
    एक सफ़र -मजरूह सुल्तानपुरी के साथ Poets & Poetries with Paramjit kaur

    एक सफ़र -मजरूह सुल्तानपुरी के साथ Poets & Poetries with Paramjit kaur

    रुक जाना नहीं ..तू कहीं हार के
    कांटों पे चल के.. मिलेंगे साये बहार के
    कलम की स्याही से गीत, गज़ल और शेर-ओ-शायरी की दुनिया में राज करने वाले .. मजरूह सुल्तानपुरी जिनके गीत आज भी फिज़ा में बिखरते हैं, गाए-गुनगुनाए जाते हैं।

    • 11 min
    मैं ही कश्ती हूं, मुझी में है समुंदर मेरा! निदा फ़ाज़ली

    मैं ही कश्ती हूं, मुझी में है समुंदर मेरा! निदा फ़ाज़ली

    Poet & Poetries with Paramjit kaur

    • 8 min
    कविता-तुम मुझको कब तक रोकोगे..!

    कविता-तुम मुझको कब तक रोकोगे..!

    राजेश तेलंग जी द्वारा रचित यह कविता जीवन में हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

    • 50 min
    संतुलन

    संतुलन

    जो तबाही हमें रुलाती है, उसकी आहट पर प्रकृति उदास हो जाती है। बाढ़, सूखा, तूफ़ान देख कर भी क्यों हम समझ नहीं पाते..? वर्ष भर उसका दोहन कर, पर्यावरण के नाम पर एक दिवस मना अपना अधिकार जताते हैं। ज़रूरी है विकास के साथ पर्यावरण में संतुलन बनाना।

    • 3 min

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