193 episodes

Naami Giraami is a Hindi podcast by Aaj Tak Radio on biographies of influential and powerful people.

Audio packages on Stories and life journeys of famous personalities of India and around the world. Catch up with a new episode every Monday.

नायक और खलनायक. विद्वान और महारथी. कला के ऐसे सितारे जो अब भी आसमान में चमकते हैं. और ऐसी हस्तियां जो इतिहास में अमर हैं. उजले व्यक्तित्व के धनी भी. और स्याह पहलुओं वाले लोग भी. ये वो लोग हैं जो मशहूर हैं. ये हैं, नामी गिरामी. सुनिए, हर सोमवार आज तक रेडियो पर.

Naami Giraami Aaj Tak Radio

    • Society & Culture

Naami Giraami is a Hindi podcast by Aaj Tak Radio on biographies of influential and powerful people.

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नायक और खलनायक. विद्वान और महारथी. कला के ऐसे सितारे जो अब भी आसमान में चमकते हैं. और ऐसी हस्तियां जो इतिहास में अमर हैं. उजले व्यक्तित्व के धनी भी. और स्याह पहलुओं वाले लोग भी. ये वो लोग हैं जो मशहूर हैं. ये हैं, नामी गिरामी. सुनिए, हर सोमवार आज तक रेडियो पर.

    बॉलीवुड के सबसे मुंहफट और शरीफ़ 'विलेन' थे अमजद ख़ान: नामी गिरामी, Ep 192

    बॉलीवुड के सबसे मुंहफट और शरीफ़ 'विलेन' थे अमजद ख़ान: नामी गिरामी, Ep 192

    अमजद ख़ान ने सिनेमा में कदम कैसे रखा, गब्बर सिंह का किरदार डैनी के जगह उन्हें क्यों मिला, क्यों अमजद की आवाज़ पर लोगों ने सवाल उठाए थे, किस घटना ने उनके फिल्मी करियर पर सालों तक विराम लगा दिया, मोटापा उनके लिए काल क्यों साबित हुआ और उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे मुंहफट कलाकार क्यों कहा जाता है, सुनिए 'नामी गिरामी' में सूरज कुमार से.

    रिसर्च, स्क्रिप्ट और प्रड्यूस- सूरज कुमार
    साउंड मिक्सिंग- अमृत रेजी

    • 17 min
    'कैलेंडर' हो या 'पप्पू पेजर', सतीश कौशिश के किरदार अपने से क्यों लगते थे?: नामी गिरामी, Ep 191

    'कैलेंडर' हो या 'पप्पू पेजर', सतीश कौशिश के किरदार अपने से क्यों लगते थे?: नामी गिरामी, Ep 191

    साल 1987 फिल्मों के लिहाज़ से एक मील का पत्थर माना जाता है क्योंकि इसी साल आई थी एक फिल्म जो अपने दौर के हिसाब से वक्त से काफी आगे थी। नाम था मिस्टर इंडिया। एक अरुण नाम का बंदा जिसका किरदार निभाया था अनिल कपूर ने... लेकिन कमाल की बात ये है कि जितनी चर्चा इस फिल्म में हीरो अनिल कपूर की हुई उतनी ही फिल्म के सहायक किरदार सतीश कौशिक की भी हुई – जिनके किरदार का नाम था – कैलेंडर. वही एक्टर 2023 , मार्च की नौ तारीख़ को हार्ट अटैक से इस दुनिया को अलविदा कह गया। एक दिन पहले ही फ़िल्मी गीतकार जावेद अख़्तर के घर होली खेली थी. एक दिन पहले ही त्योहारी उल्लास में ख़ुश हो कर जीवन से संतुष्ट हुआ होगा. एक दिन बाद ही कीबोर्ड पर उसके मौत की ख़बर टाइप हुई. वही फ़ोटोज तैर रही थी,रंग लगे चेहरे. उनमे भी मुस्कुराता वो शख़्स जो 35 साल से केवल मुस्कान नहीं सबको हँसी का फव्वारा दे रहा था. शख़्स का नाम था सतीश कौशिक. सुनिए इस सितारे की कहानी 'नामी गिरामी' में.

    रिसर्च, स्क्रिप्ट और प्रड्यूस- रोहित त्रिपाठी
    साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी

    • 17 min
    वो “तांत्रिक” जिसने रूस के अंतिम ज़ार को कठपुतली बना दिया: नामी गिरामी, Ep 190

    वो “तांत्रिक” जिसने रूस के अंतिम ज़ार को कठपुतली बना दिया: नामी गिरामी, Ep 190

    रूसी राजमहल में एक बच्चा ज़ोर ज़ोर से रो रहा था. वो बीमार था.. बहुत बीमार. भले ही उसके मां बाप रूस के ज़ार और ज़ारीना थे मगर पैसा और ताकत कई बार बेबस हो जाते हैं. आज वैसा ही दिन था. बरसों की मनौतियों और पूजा पाठ के बाद पैदा हुए एलेक्सई की हालत अब किसी से देखी नहीं जा रही थी. उसे हीमोफीलिया था. इस बीमारी में खून के थक्के नहीं बनते. एक बार घाव हो गया तो फिर खून बहता रहता है. दुनिया भर के डॉक्टर्स के इलाज से बात नहीं बनी तो तय हुआ कि अब जादू की शरण ली जाए. धर्म की दुनिया उम्मीद देती है. वही उम्मीद शाही परिवार को भी थी. इस नाजुक वक्त में रूसी राजमहल तक एक संत एक जादूगर की ख्याति पहुंची जो लोगों की बीमारी ठीक कर देता था. रूस के राजमहल में साइबेरिया से आए एक ऐसे शख्स का प्रवेश हुआ जिसका दावा था वो सारी बीमारियां ठीक कर देता है. उसकी लम्बी बेतरतीब दाढ़ी, गन्दे कपड़े और डरावनी आंखें चुगली खाते थे उसके बेपरवाह और अजीब सा होने की. लेकिन आज राजमहल को इसकी चिंता नहीं थी. उन्हें अपना बच्चा स्वस्थ चाहिए था. ज़ार औऱ ज़ारीना उस अजीब से आदमी के पांवों में गिर गए. कृपा की भीख मांगने लगे. उस आदमी ने भी उन्हें निराश नहीं किया. भरोसा दिलाया कि ज़ार के वारिस को सिर्फ वही ठीक कर सकता है. हुआ भी वही. बच्चा ठीक होने लगा. ज़ार और ज़ारीना के लिए ये खुशी की बात थी लेकिन ये उनके साम्राज्य के पतन की शुरुआत भी थी. क्योंकि सन्त होने का दावा करने वाला ये शख़्स अगले कुछ बरसों में पूरे रूसी साम्राज्य को अपने इसी एहसान के दम पर नचाने वाला था. इस शख़्स का नाम था-रासपुतिन. ग्रिगोई रासपुतिन. रूसी इतिहास जिसे साधु कम एक खलनायक तांत्रिक के रूप में ज़्यादा जानता है. सुनिए रासपुतिन की पूरी कहानी ‘नामी गिरामी’ के इस एपिसोड में नितिन ठाकुर से.

    प्रोड्यूसर- रोहित अनिल त्रिपाठी
    साउंड मिक्सिंग - कपिल द

    • 20 min
    कांग्रेस की किस ग़लती ने भिंडरांवाले को ताकतवर बना दिया था?: नामी गिरामी, Ep 189

    कांग्रेस की किस ग़लती ने भिंडरांवाले को ताकतवर बना दिया था?: नामी गिरामी, Ep 189

    दमदमी टकसाल का अध्यक्ष भिंडरावाले कांग्रेस की संपर्क में कैसे आया, कांग्रेस की मदद से कैसे उसने अपना कुनबा बढ़ाया, अकाल तख़्त पर उसने कब्ज़ा क्यों किया, पंजाब केसरी के संपादक की हत्या का दोषी भिंडरांवाले को क्यों बताया गया, ऑपरेशन ब्लू स्टार की प्लानिंग कैसे हुई, आर्मी ने कैसे पंजाब को अपने कंट्रोल में ले लिया था, सुनिए नामी गिरामी में सूरज कुमार से.

    रिसर्च, स्क्रिप्ट, प्रड्यूस- सूरज कुमार
    साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी

    • 19 min
    लाश से रेप करनेवाला सबसे कुख्यात सीरियल किलर कैसे पकड़ा गया? नामी गिरामी, Ep 188

    लाश से रेप करनेवाला सबसे कुख्यात सीरियल किलर कैसे पकड़ा गया? नामी गिरामी, Ep 188

    टेड बंडी लड़कियों का कत्ल करने के बाद उसका रेप क्यों करता था, क्यों अमेरिकी राजनीति में उसने कदम रखा, पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम क्यों होती रही, पकड़े जाने के बावजूद वो जेल से फरार कैसे हो गया और अंत में दो पत्रकारों के कारण उसने अपना गुनाह कैसे कबूल किया, सुनिए 'नामी गिरामी' में सूरज कुमार से.

    रिसर्च, स्क्रिप्ट, प्रड्यूस- सूरज कुमार
    साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी

    • 17 min
    मुशर्रफ़ ने अपना कोर्ट मार्शल रुकने पर क्यों कहा था- थैंक्यू इंडिया!: नामी गिरामी, Ep 188

    मुशर्रफ़ ने अपना कोर्ट मार्शल रुकने पर क्यों कहा था- थैंक्यू इंडिया!: नामी गिरामी, Ep 188

    ये साल 1999 का अक्टूबर महीना था. घड़ी में शाम के पाँच बजे थे. कराची का आसमान भयंकर बारिश और तूफान के बाद कुछ देर पहले ही साफ हुआ था. एयरपोर्ट पर कोलंबो से आया एक जहाज लैंडिंग की परमिशन मांगते हुए चक्कर लगा रहा था. फ्यूल खत्म होने को था लेकिन इजाजत नहीं मिल रही थी. ये उस ड्रामे की शुरुआत थी जो थोड़ी देर बाद पूरे पाकिस्तान में खेला जाना था. सरकार और सेना के बीच. इस जहाज को न उतरने देने का आदेश खुद मुल्क के प्रधानमंत्री ने दिया था, और विमान में देश का सेनाप्रमुख बैठा था. पाकिस्तान को जानने वाले समझते हैं कि वहाँ सेना अध्यक्ष का रुतबा क्या होता है. लैंडिंग की चाहत में विमान कराची से बाहर भी हो आया था मगर कोई भी उसे रनवे पर नहीं उतरने दे रहा था. ढाई घंटों तक अपने ही देश के आसमान में चक्कर काटने के बाद आखिरकार ये कराची में ही उतरा लेकिन तब तक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गिरफ्तार किये जा चुके थे. शाम ढलते ढलते और रात के गहराते एक बार फिर पाकिस्तान तख्तापलट का शिकार हो गया. सेनाअध्यक्ष परवेज़ मुशर्रफ ने शरीफ़ सरकार को किनारे किया और खुद गद्दी पर जा बैठे. विमान में बैठे इस शख़्स का नाम था,परवेज़ मुशर्रफ़. और पाकिस्तान की ये शाम सेना प्रमुख को राष्ट्र प्रमुख बनते देख रही थी. कैसे पाकिस्तान के एक जनरल ने पाकिस्तान में तख्तापलट कर दिया,ऐसा क्या हुआ जो ये नौबत आई और कारगिल में मुशर्रफ का क्या रोल था? सुनिए पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ की कहानी नामी-गिरामी के लेटेस्ट एपिसोड में.

    प्रड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
    साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी

    • 27 min

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