भजन - कीर्तन - आरती Shri Ram Parivar
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डगमग डगमग डोले नैया ---- उमा
डगमग डगमग डोले नैयापार लगावो तो जानूँ खेवैया चंचल चित्त को मोह ने घेरा, पग-पग पर है पाप का डेरा,लाज रखो तो लाज रखैयापार लगावो तो जानूँ खेवैया छाया चारों ओर अँधेरा, तुम बिन कौन सहारा मेरा,हाथ पकड़ कर बंसी बजैयापार लगावो तो जानूँ खेवैया भक्तों ने तुमको मनाया भजन से, मैं तो रिझाऊँ तुम्हें आँसुवन से,गिरतों को आ के उठावो कन्हैयापार लगावो तो जानूँ खेवैया Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.
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ये विनती रघुवीर गोसाई — उमा
ये बिनती रघुबीर गुसांई,और आस बिस्वास भरोसो, हरो जीव जड़ताई, चहौं न कुमति सुगति संपति कछु, रिधि सिधि बिपुल बड़ाई,हेतू रहित अनुराग राम पद बढै अनुदिन अधिकाई, कुटील करम लै जाहिं मोहिं जहं जहं अपनी बरिआई,तहं तहं जनि छिन छोह छांडियो कमठ-अंड की नाईं, या जग में जहं लगि या तनु की प्रीति प्रतीति सगाई,ते सब तुलसी दास प्रभु ही सों होहिं सिमिटि इक ठाईं, Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.
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चितचोरन छबि रघुबीर की — उमा
चितचोरन छबि रघुबीर की। बसी रहति निसि बासर हिय मेंबिहरनि सरजू तीर की ।चितचोरन छबि रघुबीर की... उर मणि माल पीत पट राजतचलनि मस्त गज गीर की ।चितचोरन छबि रघुबीर की... सिया अलि लखि अवध छैल छबिसुधि नहीं भूषण चीर की ।चितचोरन छबि रघुबीर की... Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.
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ऐसो को उदार जग माहीं - उमा
ऐसो को उदार जग माहीं ।बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर, राम सरस कोउ नाहीं ॥ जो गति जोग बिराग जतन करि, नहिं पावत मुनि ज्ञानी ।सो गति देत गीध सबरी कहँ, प्रभु न बहुत जिय जानी ॥ जो संपति दस सीस अरप करि, रावण सिव पहँ लीन्हीं ।सो संपदा विभीषण कहँ अति सकुच-सहित हरि दीन्हीं ॥ तुलसीदास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो ।तो भजु राम, काम सब पूरन करहि कृपानिधि तेरो ॥ Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.
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नाथ मेरो कहा बिगरेगो - उमा
नाथ मेरो कहा बिगरेगोजायेगी लाज तुम्हारी भूमि बिहीन पाण्डव सुत डोले, जब ते धरमसुत हारेरही है ना पैज प्रबल पारथ की, कि भीम गदा महि डारी,नाथ मेरो कहा बिगरेगो ... शूर समूह भूप सब बैठे, बड़े बड़े प्रणधारी,भीष्म द्रोण कर्ण दुशासन, जिन्ह मोपे आपत डारी,नाथ मेरो कहा बिगरेगो ... तुम तो दीनानाथ कहावत, मैं अति दीन दुखारी,जैसे जल बिन मीन जो तड़पै, सोई गति भई हमारी,नाथ मेरो कहा बिगरेगो ... मम पति पांच, पांचन के तुम पति, मो पत काहे बिसारी,सूर श्याम पाछे पछितहिओ, कि जब मोहे देखो उघारी,नाथ मेरो कहा बिगरेगो ... Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.
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सुनि कान्हा तेरी बांसुरी - उमा
सुनि कान्हा तेरी बांसुरी,बांसुरी तेरी जादू भरी॥ सारा गोकुल लगा झूमने,क्या अजब मोहिनी छा गयी,मुग्ध यमुना थिरकने लगी,तान बंसी की तड़पा गयी,छवि मन में बसी सांवरी। सुनि कान्हा तेरी बांसुरीबांसुरी तेरी जादू भरी हौले से कोई धुन छेड़ के,तेरी मुरली तो चुप हो गयी,सात सुर भंवर में कहीं,मेरे मन की तरी खो गयी,मैं तो जैसे हुई बावरी। सुनि कान्हा तेरी बांसुरी,बांसुरी तेरी जादू भरी। Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.