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AHMAD FARAZ। Zubaan-E-Madhav। Urdu Poetry Zubaan-E-Madhav

    • Artes escénicas

उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे, मैने तो उसके पांव में सारा क़लाम रख दिया। 'अहमद फ़राज़' , इश्क और मोहब्बत बयां करने का जिनका एक अलग ही अंदाज रहा। उनकी कुछ नज्में और गज़लें।

उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे, मैने तो उसके पांव में सारा क़लाम रख दिया। 'अहमद फ़राज़' , इश्क और मोहब्बत बयां करने का जिनका एक अलग ही अंदाज रहा। उनकी कुछ नज्में और गज़लें।

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