9 episodios

This podcast is for those who love poetry in any form .I think poetry is the best way to express human emotions.

Poet Pankaj Show pankaj jain

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This podcast is for those who love poetry in any form .I think poetry is the best way to express human emotions.

    कुछ दोस्त

    कुछ दोस्त

    कुछ दोस्त ऐसे भी होते हैं जो वक़्त के साथ रंग बदल जायगे जब वक़्त अच्छा हो तो आप की हर हा में भी हा मिला लेगे हैं जब वक़्त बुरा हो तो पीठ दिखाकर पतली गली से निकल  जायगे

    • 3 min
    परवाह

    परवाह

    परवाह उनकी करो जो तुम्हारी परवाह किया करते हैं

    • 3 min
    हमने तुमसे प्यार किया

    हमने तुमसे प्यार किया

    वो कहते हैं हमने तुमसे प्यार किया लेकिन कमबख्त जब नज़रों से नज़रें मिलीं तो कब इकरार किया
    लब भी फड़फड़ाए
    लेकिन इज़हार तो नहीं किया वो कहते थे बांहों में भर लेंगे तुम्हें
    पास आए तो हाथ पकड़ने से भी इनकार किया
    इतनी शर्तें रख दी
    फिर भी कहते हैं हमने तुमसे प्यार किया

    • 2 min
    बदल जा

    बदल जा

    ठहर जा संभल जा बदल जा
    नहीं तो ये वक़्त तुझे बदल जाएगा
    तू सोचता था तुम मालिक है इस धरती का
    जो चाहे वो कर पाएगा
    कभी सोचा था तूने तो दर्द से यूँ कह कर आएगा
    1-1 सांस के लिए तो गिड़गिड़ाएगा
    मौत के तांडव से तू डर जाएगा
    तू अकेला आया था अकेला ही जाएगा
    अपनी नादानियों से कब पार पाएगा
    अभी भी वक्त है
    ठहरजा संभलजा बदल जा
    नहीं तो ये वक़्त तुझे बदल जाएगा

    • 2 min
    Manzil

    Manzil

    मंज़िल हो दूर तो थोड़ा ठहर जाना अच्छा है रास्ते में मिले राहगीरों से मिलना मिलाना अच्छा है अपनी कहानियां सुनाना और उनकी कहानियां सुनना अच्छा है पक्षियों का चहचहाना खेतों का लहलहाना अच्छा है थक हार कर अपनी प्यास बुझाना अच्छा है गालिब की शायरी गुनगनाना अच्छा है पहली बारिश में भीग जाना अच्छा है नए रास्तों से गुजर जाना अच्छा है हरी भरी वादियों में खो जाना अच्छा है ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर गिरकर संभल जाना अच्छा है नई साँसें भर के फिर आगे बढ़ जाना अच्छा है मंज़िल हो दूर तो थोड़ा ठहर जाना अच्छा है

    • 2 min
    Waqt Gujar jayega

    Waqt Gujar jayega

    बुरा हो या अच्छा वक्त तो गुज़र जाएगा ।
    सिरहाने पर सिर रख के तू फिर सो जाएगा । सुबह जब आँख खुलेगी तो अँधेरा छंट जाएगा ।
    सूरज की रोशनी में ये उपवन फिर लहलहाएगा ।
    हर डाली डाली पे फूल फिर महक जाएगा ।
    अंधेरा तो दूर दूर तक नजर नहीं आएगा ।
    अपनों का साथ पाकर तू फिर मुस्कुराएगा ।
    सावन की उस पहली फुहार में तू झूम के गाएगा।
    बुरा हो या अच्छा वक्त तो गुज़र जाएगा ।
    सिरहाने पर सिर रख के तो फिर सो जाएगा ।

    • 1 min

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