7 min

धर्म प्रधान कर्म‪।‬ Bhagwad Vani Shrot (भगवद वाणी श्रोत)

    • Hinduism

असाधारण ही होता है वह युग, जिस युग में परमपिता परमात्मा धरा पर धर्म संस्थापन के लिए अवतरित होते हैं । आज हम आप बहुत भाग्यशाली हैं, जो अपने जन्मों-जन्मों के पुण्यों के संचय के कारण, आज परमात्मा की पहचान हुई है, उनका मार्गदर्शन मिल रहा है, उनकी निकटता मिली है और उनकी सेवा करने का अवसर मिला है । ईश्वर तो सर्वसमर्थ है, उन्हें किसी की सहायता की कोई आवश्यकता नहीं है, वह अकेले ही संपूर्ण ब्रह्मांड को संचालित करते रहते हैं , लेकिन जब वे मानव रूप में धरा पर आते हैं, तो नर लीला करते हैं और हम मनुष्यों को अपनी सेवा का शुभ अवसर प्रदान करते हैं । आज वही अवसर हम सबके सामने है। ईश्वर पुकार रहे हैं।

असाधारण ही होता है वह युग, जिस युग में परमपिता परमात्मा धरा पर धर्म संस्थापन के लिए अवतरित होते हैं । आज हम आप बहुत भाग्यशाली हैं, जो अपने जन्मों-जन्मों के पुण्यों के संचय के कारण, आज परमात्मा की पहचान हुई है, उनका मार्गदर्शन मिल रहा है, उनकी निकटता मिली है और उनकी सेवा करने का अवसर मिला है । ईश्वर तो सर्वसमर्थ है, उन्हें किसी की सहायता की कोई आवश्यकता नहीं है, वह अकेले ही संपूर्ण ब्रह्मांड को संचालित करते रहते हैं , लेकिन जब वे मानव रूप में धरा पर आते हैं, तो नर लीला करते हैं और हम मनुष्यों को अपनी सेवा का शुभ अवसर प्रदान करते हैं । आज वही अवसर हम सबके सामने है। ईश्वर पुकार रहे हैं।

7 min