14 episodes

लखनऊ विश्वविद्यालय तथा NTA NET के पाठ्यक्रम में लगी समस्त कविताओं का वाचन आपको यहाँ मिलेगा।
आप बार बार सुनेंगे तो यह कविताएँ अनायास ही आपको याद हो जाएँगी।

हिन्दी कविता LU और NET DHARMA NARAYAN

    • Education

लखनऊ विश्वविद्यालय तथा NTA NET के पाठ्यक्रम में लगी समस्त कविताओं का वाचन आपको यहाँ मिलेगा।
आप बार बार सुनेंगे तो यह कविताएँ अनायास ही आपको याद हो जाएँगी।

    नागमती वियोग वर्णन

    नागमती वियोग वर्णन

    सुनते समय पाठ अपने सामने रखें। हो सके तो साथ साथ दोहराएं। आप का अनुभव अच्छा हो इसी आशा के साथ

    • 16 min
    कुरुक्षेत्र

    कुरुक्षेत्र

    षष्ठ सर्ग

    • 14 min
    आओ मिलकर बचाएं

    आओ मिलकर बचाएं

    आओ मिलकर बचाएँ

    अपनी बस्तियों की

    नंगी होने से

    शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे

    बचाएँ डूबने से

    पूरी की पूरी बस्ती को

    हड़िया में

    अपने चेहरे पर

    संथाल परगना की माटी का रंग

    भाषा में झारखंडीपन

    ठंडी होती दिनचर्या में

    जीवन की गर्माहट

    मन का हरापन

    भोलापन दिल का

    अक्खड़पन, जुझारूपन भी

    भीतर की आग

    धनुष की डोरी

    तीर का नुकीलापन

    कुल्हाड़ी की धार

    जगंल की ताजा हवा

    नदियों की निर्मलता

    पहाड़ों का मौन

    गीतों की धुन

    मिट्टी का सोंधापन

    नाचने के लिए खुला आँगन

    गाने के लिए गीत

    हँसने के लिए थोड़ी-सी खिलखिलाहट

    रोने के लिए मुट्ठी भर एकांत

    बच्चों के लिए मैदान

    पशुओं के लिए हरी-हरी घास

    बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शांति

    फसलों की लहलहाहट

    और इस अविश्वास-भरे दौर में

    थोड़ा-सा विश्वास

    थोड़ी-सी उम्मीद

    थोडे़-से सपने

    आओ, मिलकर बचाएँ

    कि इस दौर में भी बचाने को

    बहुत कुछ बचा है

    अब भी हमारे पास

    • 1 min
    साना साना हाथ जोड़ि

    साना साना हाथ जोड़ि

    साना साना हाथ जोड़ि मधु कांकरिया के द्वारा सिक्किम यात्रा पर लिखा गया यात्रा वृतांत है। अपनी सिक्किम यात्रा के दौरान हुए सभी खट्टे मीठे अनुभवों को वे साझा करती हैं। पूरे यात्रा वृतांत में एक ज़िम्मेदार लेखिका का सजग व्यक्तित्व झाँकता रहता है।

    • 30 min
    जार्ज पंचम की नाक

    जार्ज पंचम की नाक

    लेखक बताता है कि बहुत समय पहले की बात है एलिजाबेथ द्वितीय के भारत आने की चारों तरफ चर्चा थी। दरजी पोशाकों को लेकर परेशान था कि रानी कहाँ क्या पहनेंगी। गुप्तचरों का पहले अंदेशा था कि तहकीकात कर ली जाय । नया जमाना था सो फोटोग्राफरों की फौज तैयार थी। इंग्लैंड के अखबारों की कतरने भारतीय अखबारों में छब रही थीं। सुनने में आया कि रानी के लिए चार सौ पौंड का हल्का नीला सूट बनवाया गया है जो भारत से मंगवाया गया था। रानी एलिजाबेथ की जन्मपत्री और फिलिप के कारनामें छापे गए। लेखक व्यग्य करते हुए कहता है कि अंगरक्षकों, रसोइयों की तो क्या एलिजाबेथ के कुत्तों तक की जीवनियाँ अखबारों में छप गई।


    इन दिनों इंग्लैंड की हर खबर भारत में तुरंत आ रही थी। दिल्ली में विचार हो रहा था कि जो इतना महंगा सूट पहन कर आएगी, उनका स्वागत कितना भव्य करना पड़ेगा। किसी के बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने राजधानी सुन्दर, स्वच्छ तथा इमारते सुंदरियों सी सज गई लेखक आगे बताता है कि दिल्ली में किसी चीज की कमी नहीं थी एक चीज को छोड़कर और वह थी लाट से गायब जॉर्ज पंचम की नाक।


    लेखक कहता है कि इस नाक के लिए कई दिन आन्दोलन चले थे। कुछ कहते थे कि नाक रहने दी जाए, कुछ हटाने के पक्ष में थे। नाक रखने वाले रात दिन पहरे दे रहे थे। हटाने वाले ताक में थे। लेखक कहता है कि भारत में जगह-जगह ऐसी नाकें थीं और उन्हें हटा-हटा कर अजायबघर पहुंचा दिया गया था। कहीं-कहीं इन शाही नाकों के लिए छापामार युद्ध की स्थिति बन गई थी।

    लेखक कहता है कि लाख चौकसी के बावजूद इंडिया गेट के सामने वाले खम्भे से जॉर्ज पंचम की नाक चली गई और रानी पति के राज्य में आए और राजा की नाक न पाए तो इससे बड़ी व्यथा क्या हो सकती है। सभाएँ बुलाई गई, मंत्रणा हुई कि जार्ज की नाक इज्जत का सवाल है। इस अति आवश्यक कार्य के लिए मूर्तिकार को सर्वसम्

    • 11 min
    क़ैदी और कोकिला

    क़ैदी और कोकिला

    माखनलाल चतुर्वेदी

    • 6 min

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