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Film Ki Baat 2.0 Bingepods

    • TV & Film

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    Crew | Short Review | Sajeev Sarathie

    Crew | Short Review | Sajeev Sarathie

    आज से करीब 30 साल पहले एक फिल्म आई थी खलनायक, जिसके गाने खूब चर्चित हुए थे विशेषकर चोली के पीछे जो अपने लिरिक्स के चलते विवादों में घिर गया था। पर विवादों से ऊपर उठाकर अगर आप इस 7 मिनट लंबे गीत को ध्यान से सुनोगे तो पाओगे कि इस गाने की धुन उसका शानदार अरेंजमेंट, पार्श्व में बजाए गए वाद्य आदि अपने दौर से काफी आगे थे। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी के इस गीत का लोहा तो ए आर रहमान ने भी माना जब उन्होंने इस गीत को एक ट्रिब्यूट दिया स्लमडॉग मिलेनियर में। और अब देखिए फिल्म क्रू का पूरा का पूरा पार्श्व संगीत इसी गीत से प्रेरित है। फिल्म में इस गीत का एक रीमिक्स संस्करण भी है जो दमदार है।

     

    क्रू टिप्स वालों की फिल्म है और वो भी टी सिरीज़ और सारेगामा की तरह अपने ही 90s के गीतों को उलट पलट कर पेश की कोशिश में लग गए हैं। लेकिन क्रू के मामले में ये कोशिश रंग ही लाई है। इला अरुण का घाघरा और गोविंदा करिश्मा का सोना कितना सोना है भी फिल्म में शामिल हैं और उन्हें परफेक्टली ब्लेंड किया गया है। बात करें फिल्म की तो जिस फिल्म में तब्बू, करीना और कृति सनन जैसी खूबसूरत बालाएं एक साथ हो, तो पैसा वसूल मनोरंजन लाज़मी है। दिलजीत और कपिल शर्मा भी दिखते हैं सपोर्ट में पर फिल्म पूरी तरह वूमेन पावर से लबरेज है। 

     

    कहानी में अच्छे खासे ट्विस्ट एंड टर्न हैं, थ्रिल है, कॉमेडी भी है यानी एक फूल पैकेज है मनोरंजन का। फिल्म अब नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है, देख डालिए एंजॉय करेगें। 

     

    #Crewmovie #tabu #kareenakapoor #kritisanon #EktaKapoor #cholikepeeche #LaxmikantPyarelal #IlaArun #sajeevsarathie #TipsMusic

    https://www.instagram.com/reel/C7hAnkKPQhk/?igsh=MXRsaGU5aWV0Z2l4OA==

    • 1 min
    8 A.M Metro | Short Review | Sajeev Sarathie

    8 A.M Metro | Short Review | Sajeev Sarathie

    कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें छोड़ने का बिलकुल मन नहीं होता पर इन्हें निभाया भी नहीं जा सकता। एक औरत और मर्द के बीच क्या कोई ऐसा भी रिश्ता हो सकता है जिसे किसी परिभाषा में नहीं बांधा जा सकता ? 8 AM Metro कोई टिपिकल लव स्टोरी नहीं है। यहां दो अजनबी मिलते हैं, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं मगर दोनों ही पहले ही किसी रिश्ते में कमिटेड भी है और उन रिश्तों से संतुष्ट भी।

    8 AM Metro बहुत ही सेंसेबल फिल्म है जहां दो प्रमुख किरदारों के आपसी संवाद दिलचस्प होने के साथ बहुत सोच समझ कर लिखे गए हैं। फिल्म का अंत दिल तोड़ देता है। फिल्म किताबों की बात करती है, कविताओं कहानियों की बात करती है फिल्म के कम से कम तीन किरदार लेखक हैं, एक बुक सेलर और एक जबरदस्त पाठक भी। तो साहित्य में रुचि रखने वालों को ये खासी पसंद आयेगी। फिल्म का पार्श्व संगीत गहरा है और गीत बेहद मधुर।

    गुलशन देवैया कमाल के एक्टर हैं, और सैयामी खेर कितनी खूबसूरत दिखी है जो अपनी आंखों से कितना कुछ कह देती है। बाकी भी सभी कलाकारों का काम बेहद सराहनीय है विशेषकर मृदुला के रोल में कल्पिका गणेश का। 8 AM Metro एक बेहरतीन फिल्म है जो सिनेमा घरों में कब आई कब गई किसी को पता नहीं चला। कितने अफसोस की बात है, बहरहाल अब आप इसे zee 5 पर देख सकते हैं।

    #8AmMetro #ZEE5 #rajrachakunda #GulshanDevaiah #SaiyamiKher #nimishanair #KalpikaGanesh #umeshkamat #sandeepbhardwaj #sajeevsarathie

    • 1 min
    kartam Bhugtam | Short Review | Sajeev Sarathie

    kartam Bhugtam | Short Review | Sajeev Sarathie

    श्रेयास तलपड़े एक ऐसे एक्टर हैं जो कम फिल्में करते हैं मगर चुनी हुई और सार्थक। कौन प्रवीण तांबे के बाद उनसे उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। इस हफ्ते चुप चाप उनकी एक फिल्म आई है कर्तम भर्तम यानी जो करेगा वो भरेगा। जीवन में निराश और हताश लोग अक्सर हस्तरेखाओं में न्यूमरोलॉजी में नाड़ी विशेषज्ञों के चक्कर में पड़ जाते हैं। यही इस फिल्म का मूल विषय है, जो कि काफी नया और ताजा है। पर अच्छी कहानी के बावजूद, काल और लक जैसी थ्रिलिंग फिल्म बनाने वाले सोहम शाह यहां पूरी तरह चूक से गए हैं। राइटिंग के स्तर पर भी फिल्म पूरी तरह बिखरी हुई है।

    फिल्म में श्रेयस का एक पास्ट है, मगर उसके पिता के घोटालों पर कोई बात नहीं होती। इंटरवल तक फिल्म धीमी गति से चलती है और इंटरवल तक अपने सारे पत्ते खोल देती है। पोस्ट इंटरवल जो बदला दिखाया जाता है, पूरी तरह से कल्पना विहीन है। श्रेयास निराश नहीं करते, और विजय राज़ इंटरवल तक तो काफी सही लगते हैं लेकिन पोस्ट इंटरवल जो उनका पार्ट है उसके लिए मिस्कास्ट लगते हैं, यही बात मधु और गौरव डागर के लिए भी कही जा सकती है जिन्हें स्क्रिप्ट से भरपूर सहयोग नहीं मिला।

    टाइटल सॉन्ग अलग अलग जगहों पर आता है मगर कोई इंपैक्ट नहीं क्रिएट करता । पार्श्व संगीत भी कमज़ोर है। इस विषय पर और इस कहानी पर सोहम शाह जैसा काबिल निर्देशक निश्चित ही बढ़िया फिल्म बना सकता था। बहरहाल इसे एक ऑपरच्युनिटी लॉस्ट ही कहूंगा मैं।

    #kartambhugtam#bhopal#gauravdaagar#Madhoo#VijayRaaz#AkshaPardasany#ShreyasTalpade#SohamShah#sajeevsarathie

    • 1 min
    Aavesham | Short Review | Sajeev Sarathie

    Aavesham | Short Review | Sajeev Sarathie

    कुछ अभिनेता अपने किरदारों को इस कदर जीवंत कर देते हैं कि वो काल्पनिक होकर भी वास्तविक से लगने लगते हैं और दर्शकों के जेहन में उनकी अमिट छाप रह जाती है, राजेश खन्ना का आनंद, देव साहब का राजू गाइड, अमिताभ का विजय, अमजद का गब्बर, अमरीश का मोगाम्बो या फिर हाल के दिनों में यश का रॉकी, या फिर प्रभास का महेंद्र, इसी कड़ी में जुड़ गया है फहाद का रंगा भी, एक अनोखा किरदार जो उन्होंने निभाया है आवेशम में। 

    फिल्म में करीब 20-25 मिनट बाद इस किरदार की आमद होती है जिसके बाद फहाद से आपकी नजरें हटती नहीं है। जिन दृश्यों में वो नहीं दिखते वहां भी उसका एहसास बना रहता है। ये किरदार इरिटेट भी करता है, डराता भी है और खूब जम के हंसता भी है। कुछ सीन्स हाइलाइट हैं मसलन एक टॉवल डांस है फहाद का, एक एक्शन सीक्वेंस है कॉलेज कंपाउंड का जहां होली का थीम इस्तेमाल हुआ है, फिर एक अंडर कंस्ट्रक्टेड इमारत में एक्शन का जिसे मैंने कम से कम तीन बार रिवाइंड करके देखा, और फिर क्लाइमैक्स की फाइट तो है ही।

    फहाद के साथियों का भी मेंशन जरूरी है, अंबन बहुत ही क्यूट और charming है, तो एक बूढ़ा साधू धमाका है, दो कुंग फू फाइटर्स भी है। इनके अलावा अपने प्यारे तीन कॉलेज के बच्चे, क्या कॉमिक टाइमिंग, कितना शानदार यंग टैलेंट प्रोड्यूस कर रहा है मलयालम सिनेमा। फिल्न का पार्श्व संगीत और गाने भी दमदार है। निर्देशक ने जिस ब्रिलियंस के साथ रंगा के किरदार को अवतरित करवाया है, तालियां बनती है। एक अब तक अनदेखे फहाद को डिस्कवर करने के लिए को देख सकते हैं आवेश्म ഇട മോനെ फिल्म प्राइम विडियो पर है।

    #aavesham#jithumadhavan#nazariya#FahadhFaasil#SushinSyam#SameerThahir#sajeevsarathie#SajinGopu

    • 1 min
    Murder in Mahim | Short Review | Sajeev Sarathie

    Murder in Mahim | Short Review | Sajeev Sarathie

    यूं तो वेब सीरीज की दुनिया में LGBTQ समुदाय के लिए एक विशेष स्थान देखा जा सकता है पर मर्डर इन माहिम एक ऐसी सिरीज़ है जिसकी मूल कहानी ही इसी समुदाय के इर्द गिर्द बुनी गई है। दरअसल जब तक समलौगिक यौनाचार को न्याय की नज़र में अपराध माना जाता था तब तक उन लोगों के लिए जो इस प्रवृत्ति के होने के बावजूद खुल कर सामने न आए हों, उनके साथ कई तरह के अपराधों की खबरें आम हुआ करती थी। 8 एपिसोड्स की ये मर्डर मिस्ट्री सिरीज़ इसी दौर की कहानी कहती है। 

     

    आशुतोष राणा और विजय राज दोनों ही कहीं न कहीं एक जैसे किरदारों में टाइपकास्ट से हो रहे थे दोनों के लिए ही यहां जो किरदार लिखे गए हैं उनमें दोनों को ही अपनी प्रतिभा को एक बार फिर वैरिएशन के साथ सामने रखने का मौका मिला है। उनके बीच की केमिस्ट्री इस सीरीज का हाइलाइट है। अन्य कलाकारों में दिव्या जगदले मिली की भूमिका में और आशितोष गायकवाड यूनिट के किरदार में इंप्रेसिव हैं। 

     

    सस्पेंस को लंबे समय तक बरक़रार रखने के साथ साथ सीरीज एक कोशिश भी करती है इस समुदाय के प्रति संवेदना जगाने की विशेषकर माता पिता की तरफ से। एक जगह आशुतोष कहते हैं कि मुझे किसी के सेक्स प्रेफरेंस से समस्या नहीं है, पर अपने घर में मुझे मंजूर नहीं। एक जगह जहां समलैंगिक रिश्ते को वैलिडिटी न मिलने के कारण हम एक युवा को आत्महत्या करते हुए देखते हैं तो वहीं आशुतोष और विजय दोनों का किरदार इस समुदाय के प्रति अपनी सोच को बदलते हैं लेकिन एक लंबे प्रोसेस के बाद। विजय और उनके रिश्वतखोर पिता के बीच का टसल भी अच्छा निकल कर आया है। 

     

    मर्डर इन माहिम कुछ बहुत अलग या नया शायद ऑफर नहीं करती है पर सब्सक्रिप्शन मोड में आए जिओ सिनेमा पर कम से कम कुछ देखने लायक जरूर पेश करती है। सिरीज़ यकीनन आपको होल्ड करके रखती है।

     

    #murderinmahim #JioCinema #VijayRaaz #AshutoshRana #shivaniraghuvabshi #DivyaJagdale #SmitaTambe 

    https://

    • 1 min
    Heeramandi : The Diamond Bazaar | Short Review | Sajeev Sarathie

    Heeramandi : The Diamond Bazaar | Short Review | Sajeev Sarathie

    अंग्रेजों के दौर का लाहौर शहर जहां का रेड लाइट एरिया था हीरामंडी, वो बदनाम गलियां जहां शहर के तमाम नवाबों की शामें गुजरती हैं, जहां खुद नवाबों की माएं बहनें और बीबीयां उन्हें भेजती है ताकि औरतों के साथ रहन सहन के तौर सलीकें वो सीख सकें। जहां नवाब नई तवायफों की आमद पर पुरानी को छोड़ देते हैं तो वहीं ये तवायफें जो खुद को फनकार कहती हैं, पूरी कोशिश करती है कि नवाबों की मिल्कियत का एक हिस्सा उनकी सेवाओं के बदले उन्हें मिल जाए। और इन सब के बीच तवायफों की आपसी रंजिशें, धोखे, साजिशें और पार्श्व में देश की आजादी की लड़ाई भी। नेटफ्लिक्स की इस सीरीज में संजय लीला भंसाली हमें एक नेवर सीन बिफोर वर्ल्ड में ले जाते हैं।

     

    अपनी फिल्मों की तरह ही वो यहां भी एक बहुत ही ग्रैंड, रॉयल और आंखों को चकाचौंध करने वाली तिलस्मी दुनिया रचते हैं जहां हर फ्रेम एक खूबसूरत तस्वीर सा लगता है। विभु पुरी के संवाद एक्सीलेंट हैं, हालांकि आज के संदर्भ में आपको थोड़े ड्रैमेटिक या ओवर द टॉप लग सकते हैं पर एक तरह का गुड ओल्ड चार्म है, इनकी अदायगी में जो मुझे तो बहुत अच्छा लगा। इसके अलावा सिरीज़ का संगीत जो अगेन SLB का ही है शास्त्रीय राग, बंदिश और गायिकी का अद्भुत नमूना पेश करती हैं हालांकि ये SLB के कैलिबर के हिसाब से उतना सेटिस्फाइंग नहीं है।

     

    बॉम्बे और दिल से हमने जिस मनीषा को देखा था, दुर्भाग्य ही है कि उनकी कला का भरपूर ईस्तेमाल बॉलीवुड नहीं कर पाया। लेकिन भंसाली की मल्लीकाजान जैसे मनीषा के लिए एक टेलर मेड रोल है and she is simply brilliant. सोनाक्षी की परफॉर्मेंस ऊपर नीचे होती रहती है पर अदिति राव हैदरी सहित अमूनन सभी कलाकारों का काम सराहनीय है विशेषकर इंद्रेश मालिक मास्टरजी के रोल में गजब हैं। हीरामंडी थोड़ी लंबी सीरीज है पर इसे तसल्ली से देखिए, लाहौर की ये पुरानी तंग गलियां आ

    • 1 min

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