संयुक्त राष्ट्र समाचार - वैश्विक परिप्रेक्ष्य United Nations
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वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
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यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन, 19 अप्रैल 2024
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
ग़ाज़ा पट्टी में जारी लड़ाई, और ईरान-इसराइल के बीच तनातनी से मध्य पूर्व क्षेत्र के लिए गहराया संकटबदले की भावना से कार्रवाई के ख़तरनाक चक्र को तोड़ना होगा, यूएन महासचिव की पुकारनिर्धनता में फँसी महिलाओं व लड़कियों के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों का हो रहा है हनन म्याँमार में सेना और विद्रोही गुट के बीच भीषण लड़ाई, रोहिंज्या समुदाय के लिए बढ़ती मुश्किलेंसार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिन्ता के रूप में उभर रहा है बर्ड फ़्लू संक्रमण -
यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन, 12 अप्रैल 2024
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
ग़ाज़ा में लड़ाई से हो रही बर्बादी के बीच, गुज़र-बसर के लिए आम फ़लस्तीनियों का संघर्ष ज़रूरतमन्दों के लिए सहायता मार्ग में रुकावटों का सिलसिला जारीम्याँमार में हिंसक टकराव और असुरक्षा के कारण बढ़ती निर्धनता और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं लोगयुद्धग्रस्त सूडान में जबरन विस्थापन का शिकार लोगों के लिए बढ़ती मुश्किलेंपाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन विवाह और धर्मान्तरण मामलों पर गहरा क्षोभहेपेटाइटिस से हर दिन हज़ारों लोगों की मौत, WHO रिपोर्ट -
यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन, 5 अप्रैल 2024
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
ग़ाज़ा में आम नागरिकों, मानवीय सहायताकर्मियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं
यूएन महासचिव ने बेरोकटोक सहायता आपूर्ति, इसराइली सैन्य तौर-तरीक़ों में बदलाव की लगाई पुकार
यूक्रेन में ‘हिंसक टकराव से पीड़ित आम लोगों के उत्पीड़न व दमन पर चिन्ता
सैन्य तख़्तापलट के बाद उपजे संकट से जूझ रहे म्याँमार में, संयुक्त राष्ट्र ने सेवाएँ जारी रखने का जताया संकल्प
लाखों लोगों के लिए बड़ा ख़तरा हैं बारूदी सुरंगें, सफ़ाए के लिए यूएन के सक्रिय प्रयास
हैज़ा प्रभावित देशों में बेहतर परीक्षण व निगरानी व्यवस्था के लिए नई किट रवाना -
यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन, 29 मार्च 2024
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
ICJ का ग़ाज़ा पट्टी में, अकाल टालने के लिए, इसराइल को अन्तरिम कार्रवाई करने का आदेश, उधर ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की मांग तेज़.
हेती में गैंग युद्ध के कारण उत्पन्न "प्रलयकारी स्थिति" का सामना करने के लिए, तुरन्त और साहसिक कार्रवाई पर ज़ोर.
दुनिया भर में लगभग एक अरब आहार ख़ुराकों के समतुल्य खाद्य सामग्री हो जाती है बर्बाद, जबकि एक तिहाई आबादी को नहीं मिल पाता भरपेट भोजन.
अन्य देशों के लिए निकलने वाले लगभग तीन में से एक प्रवासियों की मौत का कारण होता है हिंसक टकराव.
Artificial Intelligence यानि कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी के, तेज़ी से बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनज़र, इस पर मानव नियंत्रण ज़रूरी. इस विषय पर सुनिएगा एक विशेष इंटरव्यू - शिमोना मोहन के साथ. -
भारत: यूएन के अन्दर और बाहर, महिला अधिकार सुनिश्चित करने के प्रयास
संयुक्त राष्ट्र, अपनी विभिन्न संस्थाओं के ज़रिए, महिलाओं के किसी भी तरह के शोषण व दुर्व्यवहार से निपटने के प्रयास करता है, वहीं कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जहाँ ख़ुद यूएन से जुड़े व्यक्ति, अपने पद का दुरुपयोग करते हुए, महिला अधिकारों के हनन व यौन उत्पीड़न में संलिप्त पाए जाते हैं. ऐसे में, विश्व भर में और भारत में स्थित संयुक्त राष्ट्र में भी, यौन उत्पीड़न व दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए कई क़दम उठाए गए हैं.
भारत में संयुक्त राष्ट्र में यौन शोषण व दुर्व्यवहार की रोकथाम पर क्या काम हुआ है, इससे सम्बन्धित विस्तृत जानकारी के लिए, यूएन न्यूज़ हिन्दी की सहयोगी अंशु शर्मा ने, भारत स्थित यूएन कार्यालय में अन्तर एजेंसी पीसीईए (PSEA) समन्वयक, वीनू कक्कड़ के साथ बातचीत की और जानना चाहा कि यूएन, अपने भीतर व यूएन के साथ काम करने वाली महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा किस तरह सुनिश्चित करता है... -
कृत्रिम बुद्धिमता का बढ़ता इस्तेमाल, मगर मानव निगरानी बेहद अहम
कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल व्यापक क्षेत्रों में तेज़ी से हो रहा है, विशेष रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए. मगर, सिविल उद्देश्यों और रणभूमि व हथियार प्रणालियों में एआई टैक्नॉलॉजी के उपयोग को मानव देखरेख के दायरे में लाया जाना ज़रूरी है.
संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण शोध संस्थान (UNIDIR) में एसोसिएट रिसर्चर शिमोना मोहन ने यूएन न्यूज़ के साथ एक बातचीत में बताया कि कुछ ही सालों में टैक्नॉलॉजी में निरन्तर बदलाव आ रहे हैं, और इसलिए उन्हें परिभाषित करने के बजाय उनकी चारित्रिक विशेषताओं (characteristics) को देखकर ही नीतिगत व नियामन समाधान तैयार किए जाने होंगे.
उन्होंने कहा कि एआई टैक्नॉलॉजी को विकसित करने की प्रक्रिया में लैंगिक परिप्रेक्ष्य का ध्यान रखा जाना भी अहम है, ताकि पूर्वाग्रहों और महिलाओं या बच्चों पर इसके हानिकारक प्रभावों से बचा जा सके.