Gyandutt Pandey - मानसिक हलचल GYANDUTT PANDEY
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- Society & Culture
इस पॉडकास्ट में अपने आसपास के भ्रमण और मन में उठने वाले विचारों का विवरण है। उसमें वर्तमान है, अतीत भी। भविष्य की आशंकायें हैं और आशायेंं भी। उल्लास है और उदासी भी।
इस में विचारोत्तेजक बैठकी भी जुड़ गई है - परस्पर बातों विचारों का आदान-प्रदान! बैठकी किसी भी आपसी समझ के मुद्दों पर हो सकती है है!
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प्रेम सागर पाण्डेय, द्वादश ज्योतिर्लिंग के कांवर पदयात्री हनुमना के आगे
प्रेम सागर 12 ज्योतिर्लिंगों की कांवर पदयात्रा पर निकले हैं. मेरे ब्लॉग पर उनकी यात्रा के विवरण पोस्ट हो रहे हैं. यह पॉडकास्ट भी उसी कड़ी में है, जिसमें उनके साथ बात चीत समाहित है.
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रिकंवच के बहाने देसी मिठाइयों और व्यंजनों पर बातचीत Post #13
रिकंवच के साथ साथ #गांवदेहात के व्यंजनों और मिठाइयों पर पॉडकास्ट. इसमें अनरसा, गुड़ की जलेबी, लेड़ुआ, लखटू, तिलवा, पिटिउरा, दलभरी आदि देसी भोज्य पदार्थों की बातचीत है, जो अब कम ही दिखते हैं. कृपया सुना जाए!
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ओम प्रकाश यादव, वॉचमैन Post #12
वह गरीब विपन्न व्यक्ति है जो अपनी ईमानदारी, काम में मुस्तैदी और प्रतिबद्धता के बल पर अपनी जीविका चला ले रहा है. गांव देहात में नियमित काम की व्यापक कमी के बावजूद.
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अगियाबीर के पुरातात्विक अन्वेषक डा. अशोक कुमार सिंह के संस्मरण Post #11
डा. अशोक कुमार सिंह भारतीय पुरातत्व में मध्य गंगा घाटी के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके पास लगभग चार दशक का आर्कियॉलॉजिकल एक्सकेवेशन का अनुभव है। वे फील्ड के पुरातत्वविद हैं; आर्मचेयर आर्कियॉलॉजिस्ट नहीं। अगियाबीर की महत्वपूर्ण अतिप्राचीन नगरीय सभ्यता की खोज का सेहरा उन्हीं के सिर बंधा है। अगियाबीर आज से पैंतीस सौ साल पहले का गंगा घाटी का औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र हुआ करता था, यह डा. सिंह के उत्खनन से स्पष्ट होता है।
वे अपने अगियाबीर खोज और उत्खनन के संस्मरण मेरे पॉडकास्ट पर सुनाने को पूरी सहृदयता से राजी हो गये। आज उस कड़ी में पहला पॉडकास्ट है जिसमें वे अगियाबीर की पहली खुदाई के बारे में बताते हैं। -
भदोही जनपद का इतिहास और पुरातत्व - डाॅ. रविशंकर से एक चर्चा Post #10
डाॅ. रविशंकर भदोही जनपद के पुरातत्वीय अध्ययन पर अथॉरिटी हैं। वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पुरातत्व के प्रवक्ता (पोस्ट डॉक्टरल फैलो) हैं। उनका शोध प्रबंध भदोही जनपद के पुरातात्विक सर्वेक्षण को लेकर है। उन्होंने 100 से अधिक पुरातत्व के महत्व के स्थलों का बारीकी से अध्ययन किया है। चर्चा में भदोही के नाम और इतिहास की प्राचीनता पर उनके विचार हैं।
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रस्सी बनाने की मशीन - गांव की सर्कुलर अर्थ व्यवस्था का नायाब उदाहरण - Post #9
एक ऐसी मशीन का विवरण जो मोटर साइकिल पर लाद कर आदमी चलता है और पुरानी साड़ियों से रस्सी या गाय गोरू बांधने का पगहा बुनता है