30 episodes

Kids stories help to develop a child’s imagination by introducing new ideas into their world, encouraging them and making them realise that they can, and should imagine anything they want.
Join footri stories by Santhosh Joseph and delve into fascinating world of kids stories where happiness comes along with learnings.

Footri Stories Santhosh Joseph

    • Kids & Family

Kids stories help to develop a child’s imagination by introducing new ideas into their world, encouraging them and making them realise that they can, and should imagine anything they want.
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    Cup Of Tea | चाय का प्याला

    Cup Of Tea | चाय का प्याला

    Story of 15 soldiers and their commanding officers, how a cup of tea changed their view towards life.


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    • 8 min
    Snake and Frog Story | सांप की सावरी की कहानी

    Snake and Frog Story | सांप की सावरी की कहानी

    Story of an old snake, how he makes up a story and fools a pond full of frogs and eats them at ease.

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    • 5 min
    Blue Jackal Story | नीले सियार की कहानी

    Blue Jackal Story | नीले सियार की कहानी

    Blue Jackal Story - how a jackal fell into a tub full of indigo and he got the idea and fooled all animals and finally was caught and killed by the same animals who he was fooling for so long.

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    • 6 min
    Monkey And Bird Story | गौरैया और बंदर की कहानी

    Monkey And Bird Story | गौरैया और बंदर की कहानी

    गौरैया और बंदर की कहानी | Monkey And Bird Story In Hindi

    एक बार की बात है, एक जंगल के किसी घने पेड़ पर एक गौरैया का जोड़ा रहता था। वो उस पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर गुजर-बसर करते थे। दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन बीता रहे थे। फिर आया सर्दियों का मौसम, इस बार बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ने लगी। ठंड से बचने के लिए एक दिन कुछ बंदर उस पेड़ के नीचे ठिठुरते हुए पहुंचे। तेज ठंडी हवाओं से सभी बंदर कांप रहे थे और बहुत ही परेशान थे। पेड़ के नीचे बैठने के बाद वो आपस में बात करने लगे कि काश कहीं से आग सेंकने को मिल जाती तो ठंड दूर हो जाती। उसी बीच एक बंदर की नजर पास पड़ी सूखी पत्तियों पर पड़ी।

    उसने दूसरे बंदरों से कहा, “चलो इन सूखी पत्तियों को इकट्ठा करके जलाते हैं।” उन बंदरों ने पत्तियों को एक जगह इकट्ठा किया और उन्हें जलाने का उपाय करने लगे। ये सब पेड़ पर बैठी गौरैया देख रही थी। ये सब देखकर उससे रहा नहीं गया और वो बंदरों से बोल पड़ी, “तुम लोग कौन हो?, देखने में तो तुम आदमियों की तरह लग रहे हो, हाथ-पैर भी हैं, तुम अपना घर बनाकर क्यों नहीं रहते?”

    गौरेया की बात सुनकर ठंड से कांप रहे बंदर चिढ़ गए और बोले, “तुम अपना काम करो, हमारे काम में पड़ने की जरूरत नहीं है।” इतना कहने के बाद वो फिर आग जलाने के बारे में सोचने लगे और अलग-अलग तरीके अपनाने लगे। इतने में बंदरों की नजर एक जुगनू पर पड़ी। वो चिल्लाने लगा, “देखो ऊपर हवा में चिंगारी है, इसे पकड़कर आग जलाते हैं।” यह सुनते ही सारे बंदर उसे पकड़ने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने लगे। ये देख चिड़िया फिर बोल पड़ी, “यह जुगनू है, इससे आग नहीं सुलगेगी।” तुम लोग दो पत्थरों को घिसकर आग जला सकते हो।”

    बंदरों ने चिड़िया की बात को अनसुना कर दिया। कई कोशिश के बाद उन्होंने जुगनू को पकड़ लिया और फिर उससे आग जलाने की कोशिश करने लगे, पर वो इस काम में कामयाब नहीं हो पाए और जुगनू उड़ गया। इ

    • 5 min
    Bagula Aur Kekda Ki Kahani | बगुला और केकड़ा की कहानी

    Bagula Aur Kekda Ki Kahani | बगुला और केकड़ा की कहानी

    Bagula Aur Kekda Ki Kahani | बगुला और केकड़ा 

    यह कहानी है एक जंगल की जहां एक आलसी बगुला रहा करता था। वह इतना आलसी था कि कोई काम करना तो दूर, उससे अपने लिए खाना ढूंढने में भी आलस आता था। अपने इस आलस के कारण बगुले को कई बार पूरा-पूरा दिन भूखा रहना पड़ता था। नदी के किनारे अपनी एक टांग पर खड़े-खड़े दिन भर बगुला बिना मेहनत किए खाना पाने की युक्तियां सोचा करता था।

    एक बार की बात है, जब बगुला ऐसी ही कोई योजना बना रहा था और उसे एक आइडिया सूझा। तुरंत ही वह उस योजना को सफल बनाने में जुट गया। वह नदी के किनारे एक कोने में जाकर खड़ा हो गया और मोटे-मोटे आंसू टपकाने लगा। उसे इस प्रकार रोता देख केंकड़ा उसके पास आया और उससे पूछा, “अरे बगुला भैया, क्या बात है? रो क्यों रहे हो?” उसकी बात सुनकर बगुला रोते-रोते बोला, “क्या बताऊं केंकड़े भाई, मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा है। अपनी भूख मिटाने के लिए मैंने आज तक न जाने कितनी मछलियों को मारा है। मैं कितना स्वार्थी था, लेकिन आज मुझे इस बात का एहसास हो गया है और मैंने यह वचन लिया है कि अब मैं एक भी मछली का शिकार नहीं करूंगा।”

    बगुले की बात सुन कर केंकड़े ने कहा, “अरे ऐसा करने से तो तुम भूखे मर जाओगे।” इस पर बगुले ने जवाब दिया, “किसी और की जान लेकर अपना पेट भरने से तो भूखे पेट मर जाना ही अच्छा है, भाई। वैसे भी मुझे बाबा मिले थे और उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ ही समय में 12 साल के लिए सूखा पड़ने वाला है, जिस कारण सब मर जाएंगे।” केंकड़े ने जाकर यह बात तालाब के सभी जीवों को बता दी।

    “अच्छा,” तालाब में रहने वाले कछुए ने चौंक कर पूछा, “तो फिर इसका क्या हल है?” इस पर बगुले भगत ने कहा, “यहां से कुछ कोस दूर एक तालाब है। हम सभी उस तालाब में जाकर रह सकते हैं। वहां का पानी कभी नहीं सूखता। मैं एक-एक को अपनी पीठ पर बैठा कर वहां छोड़कर आ सकता हूं।” उसकी यह बात सुनकर सारे ज

    • 6 min
    ब्राह्मण और सांप (Brahman Aur Saap)

    ब्राह्मण और सांप (Brahman Aur Saap)

    एक बार की बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसके पास काफी खेत थे, लेकिन उनमें ज्यादा पैदावार नहीं होती थी। एक दिन ब्राह्मण अपने खेत में एक पेड़ के नीचे सोया हुआ था। जैसे ही ब्राह्मण की आंख खुली उसने देखा कि एक सांप अपना फन फैलाए बैठा हुआ है। ब्राह्मण को अहसास हुआ कि यह कोई साधारण सांप नहीं है, बल्कि कोई देवता है। ब्राह्मण ने निर्णय लिया कि वह आज से इस देवता की पूजा करेगा। ब्राह्मण उठा और जाकर दूध ले आया और उसने एक मिटटी के बर्तन में दूध दाल कर सांप को दूध पिलाया।

    दूध पिलाते समय ब्राह्मण ने सांप से क्षमा मांगते हुए कहा कि हे देव! मैंने आपको साधारण सांप समझा, इसके लिए आप मुझे माफ कर दीजिए। अपनी कृपा दृष्टि से मुझे बहुत सारा धन-धान्य प्रदान करें प्रभु। ऐसा कहकर ब्राह्मण अपने घर वापस आ गया।

    अगले दिन जब वह अपने खेत पहुंचा, तो उसने देखा कि जिस बर्तन में उसने सांप को दूध पिलाया था, उसमें एक सोने का सिक्का पड़ा हुआ है। अब ब्राह्मण रोज सांप की पूजा करने लगा और सांप रोज उसे एक सोने का सिक्का देने लगा।

    कुछ दिन बाद ब्राह्मण को किसी जरुरी काम से दूर किसी देश जाना पड़ा, तो उसने अपने बेटे से कहा कि तुम खेत में जाकर सांप देवता को दूध पिला आना। अपने पिता की आज्ञा से ब्राह्मण का बेटा खेत में गया और सांप के बर्तन में दूध रख आया। अगली सुबह जब वह सांप को दूध पिलाने गया, तो उसने देखा कि वहां सोने का सिक्का रखा हुआ है।

    ब्राह्मण के बेटे ने वो सोने का सिक्का उठा लिया और मन ही मन सोचने लगा कि जरूर इस सांप के बिल में सोने का भंडार है। उसने सांप के बिल को खोदने का फैसला किया, लेकिन उसे सांप का बहुत डर था। ब्राह्मण के बेटे ने योजना बनाई कि जैसे ही सांप दूध पीने आएगा, तो वह उसके सिर पर लाठी से वार करेगा, जिससे सांप मर जाएगा। सांप के मरने के बाद मैं तसल्ली से बिल खोदू

    • 4 min

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