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ब्रजसुंदर दास भगवत पुराण और भगवद गीता के प्राचीन ज्ञान को व्यापक दर्शकों तक फैलाने के मिशन पर हैं। उनका वन पर्पज पॉडकास्ट वेदों से प्रकट ज्ञान प्रदान करता है, जो दुनिया में पारलौकिक विज्ञान का सबसे पुराना और सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त स्रोत है। श्रोता वैकल्पिक दिनों में कहीं से भी नवीनतम एपिसोड में ट्यून कर सकते हैं, जहां से उन्हें अपना पॉडकास्ट मिलता है। पॉडकास्ट हमारे समृद्ध इतिहास से व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करता है, जो पूरे समय में महान हस्तियों द्वारा निर्धारित उदाहरणों से वास्तविक जीवन की सीख देता है। चाहे आप अपनी आध्यात्मिक समझ को गहरा करना चाह रहे हों या बस एक अधिक पूर्ण

भागवत वाणी ब्रजसुन्दर दास के सा‪थ‬ Brajsundar Das

    • Religion & Spirituality

ब्रजसुंदर दास भगवत पुराण और भगवद गीता के प्राचीन ज्ञान को व्यापक दर्शकों तक फैलाने के मिशन पर हैं। उनका वन पर्पज पॉडकास्ट वेदों से प्रकट ज्ञान प्रदान करता है, जो दुनिया में पारलौकिक विज्ञान का सबसे पुराना और सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त स्रोत है। श्रोता वैकल्पिक दिनों में कहीं से भी नवीनतम एपिसोड में ट्यून कर सकते हैं, जहां से उन्हें अपना पॉडकास्ट मिलता है। पॉडकास्ट हमारे समृद्ध इतिहास से व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करता है, जो पूरे समय में महान हस्तियों द्वारा निर्धारित उदाहरणों से वास्तविक जीवन की सीख देता है। चाहे आप अपनी आध्यात्मिक समझ को गहरा करना चाह रहे हों या बस एक अधिक पूर्ण

    बृजवासियों का भगवान श्री कृष्ण के प्रति भाव क्या है?

    बृजवासियों का भगवान श्री कृष्ण के प्रति भाव क्या है?

    बृजवासियों का भगवान श्री कृष्ण के प्रति सखा भाव है। वे श्री कृष्ण को अपने मित्र और सखा के रूप में देखते हैं, जिससे उनके प्रेम में अद्वितीय गहराई और सरलता है। उद्धव जी ज्ञानी भक्त थे, जो ज्ञान के मार्ग पर चलते थे। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें प्रेम तत्व की महिमा समझाने के लिए बृजवासियों के पास संदेश लेकर भेजा। बृजवासियों के निश्छल प्रेम और सखा भाव को देखकर उद्धव जी ने प्रेम तत्व की वास्तविकता को समझा। इस अनुभव ने उद्धव जी के हृदय को प्रेम के नए आयामों से परिचित कराया, जिससे वे सच्चे प्रेम की महत्ता को पहचान सके।

    • 2 min
    भगवान श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के रूप में क्यों अवतरित हुए ? | ब्रजसुंदर दास

    भगवान श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के रूप में क्यों अवतरित हुए ? | ब्रजसुंदर दास

    भगवान श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतरण का कारण उनका लोककल्याण और धर्म के प्रचार की इच्छा थी। भक्ति, प्रेम , और मानवता को उनके उत्तम आचरण और उच्चतम आदर्शों के माध्यम से जीने की शिक्षा दी। उनका अवतरण लीलापूर्ण और भव्य था, जिससे मानवता में उत्साह और आध्यात्मिकता का विकास हुआ। उनका जीवन एक प्रेरणास्पद उदाहरण है जो हमें सच्चे धर्म और प्रेम की महत्वपूर्णता को समझाता है।

    • 1 min
    पितामह भीष्म के जीवन पर चर्चा और युधिष्ठिर की सबसे बड़ी समस्या | .ब्रजसुंदर दास

    पितामह भीष्म के जीवन पर चर्चा और युधिष्ठिर की सबसे बड़ी समस्या | .ब्रजसुंदर दास

    भीष्म पितामह महाभारत के एक पूजनीय व्यक्ति थे, जो भगवान कृष्ण के प्रति अपनी अटूट भक्ति के लिए जाने जाते थे। महाभारत युद्ध के बाद, भीष्म ने विभिन्न संतों और भक्तों का गहरे प्रेम और सम्मान के साथ स्वागत किया। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर, व्यास, वशिष्ठ और अन्य संतों ने उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया। बाणों की शय्या पर लेटे हुए, भीष्म ने उन्हें कृपापूर्वक स्वीकार किया, जिससे उनके धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पण का प्रदर्शन हुआ। इन पूजनीय संतों के साथ उनकी बातचीत ने उस कालातीत ज्ञान को प्रदर्शित किया, जो उन्होंने प्रदान किया और जिसने महाभारत की कथा से परे एक भक्ति और धर्म की विरासत बनाई। भगवान कृष्ण ने भीष्म पितामह के चरणों का विनम्रता से स्पर्श किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। महाभारत युद्ध के बाद, अपने वानप्रस्थ में, भीष्म ने सभी संतों की समर्पित सेवा की, जिससे उन्होंने निःस्वार्थ भक्ति और धर्म का आदर्श प्रस्तुत किया।

    • 32 min
    भागवत धर्म क्या है और भागवत धर्म को कौन समझ सकता है ?

    भागवत धर्म क्या है और भागवत धर्म को कौन समझ सकता है ?

    In Bhagavad-gītā Lord Kṛṣṇa refers to bhāgavata-dharma as the most confidential religious principle (sarva-guhyatamam, guhyād guhyataram). Kṛṣṇa says to Arjuna, “Because you are My very dear friend, I am explaining to you the most confidential religion.” Sarva-dharmān parityajya mām ekaṁ śaraṇaṁ vraja: “Give up all other duties and surrender unto Me.” One may ask, “If this principle is very rarely understood, what is the use of it?” In answer, Yamarāja states herein that this religious principle is understandable if one follows the paramparā system of Lord Brahmā, Lord Śiva, the four Kumāras and the other standard authorities. There are four lines of disciplic succession: one from Lord Brahmā, one from Lord Śiva, one from Lakṣmī, the goddess of fortune, and one from the Kumāras. The disciplic succession from Lord Brahmā is called the Brahma sampradāya, the succession from Lord Śiva (Śambhu) is called the Rudra sampradāya, the one from the goddess of fortune, Lakṣmījī, is called the Śrī sampradāya, and the one from the Kumāras is called the Kumāra sampradāya. One must take shelter of one of these four sampradāyas in order to understand the most confidential religious system. In the Padma Purāṇa it is said, sampradāya-vihīnā ye mantrās te niṣphalā matāḥ: if one does not follow the four recognized disciplic successions, his mantra or initiation is useless. In the present day there are many apasampradāyas, or sampradāyas which are not bona fide, which have no link to authorities like Lord Brahmā, Lord Śiva, the Kumāras or Lakṣmī. People are misguided by such sampradāyas. The śāstras say that being initiated in such a sampradāya is a useless waste of time, for it will never enable one to understand the real religious principles.

    • 36 min
    नारायण ब्रह्मा के पिता और माता कैसे ?

    नारायण ब्रह्मा के पिता और माता कैसे ?

    इसके पश्चात् योगी को भगवान् की नाभि का ध्यान करने के लिए कहा गया है, जो समस्त भौतिक सृष्टि का आधार है। जिस प्रकार शिशु नाल के द्वारा अपनी माता से जुड़ा होता है उसी प्रकार पहले पहल जन्म लेने वाले प्राणी ब्रह्माजी, भगवान् की परमेच्छा से एक कमलनाल द्वारा भगवान् से जुड़े रहते हैं। पिछले श्लोक में कहा गया है कि भगवान् के पाँव, टखने तथा जाँचें दबाती हुई लक्ष्मीजी ब्रह्मा की माता कहलाती हैं, किन्तु वास्तव में ब्रह्मा अपनी माता के उदर से उत्पन्न न होकर भगवान् के उदर से प्रकट हुए हैं। ये भगवान् के अचिन्त्य कार्यकलाप हैं जिनके विषय में यह सोचने की आवश्यकता नहीं है कि पिता ने किस प्रकार बच्चे को जन्म दिया।

    • 31 min
    भस्मासुर को शिव का वरदान | ब्रजसुन्दर दास

    भस्मासुर को शिव का वरदान | ब्रजसुन्दर दास

    भस्मासुर हिन्दू पौराणिक कथाओं में वर्णित एक ऐसा राक्षस था जिसे स्वयं भगवान शिव का वरदान था कि वो जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा।
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    • 5 min

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