माँ दुर्गा के नौ स्वरूप

माँ कात्यायनी

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नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाती हैं माँ कात्यायनी, जिन्हें शक्ति और साहस की देवी कहा जाता है। महर्षि कात्यायन की घोर तपस्या और त्रिदेव की शक्तियों के संयोग से जन्मी, देवी कात्यायनी का अवतार महिषासुर जैसे अत्याचारी दैत्य के अंत के लिए हुआ। जब महिषासुर ने देवताओं और तीनों लोकों को आतंकित कर दिया, तब माँ कात्यायनी सिंह पर सवार होकर रणभूमि में उतरीं। महिशासुर ने हाथी, सिंह और भैंस के विकराल रूप धारण किए, परंतु माँ के प्रहार से हर बार पराजित हुआ। अंततः जब महिषासुर ने भैंस का रूप लिया, माँ कात्यायनी ने अपने दिव्य चक्र और तलवार से उसका वध कर अधर्म का अंत किया। तभी से वे महिषासुर मर्दिनी के नाम से जानी जाती हैं। चार भुजाओं वाली, लाल आभा से दमकती माँ कात्यायनी के एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल और शेष हाथों में वरमुद्रा व अभयमुद्रा होती है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और वीरता का प्रतीक है। मान्यता है कि माँ कात्यायनी की पूजा विशेषकर विवाह योग्य कन्याओं के लिए फलदायी होती है। उनकी आराधना से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और साहस व विजय का आशीर्वाद मिलता है। तो जानिए कैसे माँ कात्यायनी ने महिषासुर का संहार कर धर्म की रक्षा की। Visit our website to know more: https://chimesradio.com