911 episodi

Chanting And Recitation Of Jain & Hindu Mantras And Prayers. Subscribe to my youtube channel : https://youtube.com/channel/UCmmeT83dQo1WxHyELqwx7Qw

Rajat Jain 🚩 #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers RaJaT JaiN

    • Religione e spiritualità

Chanting And Recitation Of Jain & Hindu Mantras And Prayers. Subscribe to my youtube channel : https://youtube.com/channel/UCmmeT83dQo1WxHyELqwx7Qw

    Punya Vardhak Mantra पुण्य वर्धक मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं नमः 108 times

    Punya Vardhak Mantra पुण्य वर्धक मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं नमः 108 times

    Punya Vardhak Mantra पुण्य वर्धक मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं नमः 108 times
    ◆ (ये मंत्र पहले आपके पाप कर्मों को "नष्ट" करेगा और "पुण्य" को बढ़ाएगा, फिर "समृद्धि" लाएगा। ना किसी के चक्कर काटना, ना धन का खर्च और मन की शांति खोना। जप से मन में "विश्वास तुरंत आता है और “फालतू" विचारों को "ताला" लग जाता है.

    बाधाएं आये ही नहीं, इसके लिए भक्ति और विश्वास से उपरोक्त मंत्र की १ माला तीर्थंकरों अथवा इष्टदेव की किसी भी मूर्ति/फोटो/तस्वीर के आगे रोज जाप करें। (घर पर हो तो दीपक और अगरबत्ती करें -इससे अधिष्ठायक देव प्रसन्न होते हैं).

    • 11 min
    Padmavati Kavacham पद्मावती कवचम्

    Padmavati Kavacham पद्मावती कवचम्

    Padmavati Kavacham पद्मावती कवचम् ★

    भगवन् ! सर्वमाख्यातं, मंत्रं यंत्रं शुभप्रदम् ।
    पदमायाः कवचं ब्रूहि, यद्यहं तव वल्लभा ।।1।।

    महागोप्यं महागुह्यं पद्मायाः सर्वकामदम् ।
    कवचं मोहनं देवि ! गुरुभक्ताय दीयते 11211

    राज्यं देयं च सर्वस्वं कवचं न प्रकाशयेत् ।
    गुरुभक्ताय दातव्यमन्यथा सिद्धिदं नहि ||3||

    ऐं बीजं, क्लीं शक्तिः हसौ कीलकम् पद्मावती - प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।

    ॐ पद्माबीजं शिरः पातु, ललाट पंचमी परा ।
    नेत्रे कामप्रदा पातु मुखं भुवनसुन्दरी ।।4।।

    नाभिकां नागनाथश्च जिह्वां वागीश्वरी तथा ।
    श्रुतिरूपा जगद्धात्री, करौ हृतं हिमवासिनी 11511

    उदरं मोहदमनी, कुण्डली नाभिमण्डलम् ।
    पार्श्व पृष्टं कटि गुह्य शक्ति स्थान निवासिनी 11611

    उरुजुंघे तथा पादौ सर्वविघ्नविनाशिनी ।
    रक्ष रक्ष महामाये ! पद्म । पद्मालये ! शिवे ! 117।।

    वांच्छितं पूरयत्वाशु पद्मा सा पातुः सर्वतः ।
    इदं तु कवचं देव्या यो जानाति च मंत्रवित 11811

    राजद्वारे श्मशाने च भूतप्रेतोपचारिके ।
    बन्धने च महादुःखे भये शत्रुसमागमे ||9||

    स्मरणात्कवचस्यास्य भयं किंचिन्न जायते ।
    प्रयोगमुपचारं च पद्मायाः कर्त्तुमिच्छति ।।10।।

    कवचं प्रपठेदादौ ततः सिद्धिमवापुयात् ।
    भूर्जे पत्रे लिखित्वा तु कवचं यस्तु धारयेत् ।।11।।

    देहे च यत्रकुत्राऽपि सर्वसिद्धिर्भवेद् ध्रुवम् ।
    शस्त्राग्निजं भयं नैव, भूतादिभयनाशनम् ।।12।।

    गुरुभक्तिं समासाद्य पद्मायाः स्तवनं कुरु । सहस्रनामपठने कवचं प्रथमं कुरु 111311

    नन्दिना कथितं देवि तवाग्रे तत् प्रकाशितम्
    सांगता जायते देवि । नान्यथा गिरिनन्दिनी ।।14।। !

    इदं कवचमज्ञात्वा पद्मायाः स्तौति यो नरः ।
    कल्पकोटिशतेनाऽपि न भवेत सिद्धिदायिनी ।।15।।

    || इति श्री रुद्रयामले पद्मावतीकवचं सम्पूर्णम् ।

    • 5 min
    Sri Sai Naam Smaran श्री साईं नाम स्मरण 3 times

    Sri Sai Naam Smaran श्री साईं नाम स्मरण 3 times

    Sri Sai Naam Smaran श्री साईं नाम स्मरण ★
    जय ॐ, जय ॐ, जय जय ॐ, ॐ, ॐ, ॐ, ॐ, जय जय ॐ |
    जय साईं, जय साईं, जय साईं ॐ, ॐ साईं, ॐ साईं, ॐसाईं ॐ ।। ★

    • 2 min
    Vairagya Bhavna वैराग्य भावना

    Vairagya Bhavna वैराग्य भावना

    Vairagya Bhavna वैराग्य भावना • (दोहा)

    बीज राख फल भोगवे, ज्यों किसान जग-माँहिं |
    त्यों चक्री-नृप सुख करे, धर्म विसारे नाहिं ||१||

    (जोगीरासा व नरेन्द्र छन्द)

    इहविधि राज करे नरनायक, भोगे पुण्य-विशालो |
    सुख-सागर में रमत निरंतर, जात न जान्यो कालो ||
    एक दिवस शुभ कर्म-संजोगे, क्षेमंकर मुनि वंदे |
    देखि श्रीगुरु के पदपंकज, लोचन-अलि आनंदे ||२||

    तीन-प्रदक्षिण दे सिर नायो, कर पूजा थुति कीनी |
    साधु-समीप विनय कर बैठ्यो, चरनन-दृष्टि दीनी ||
    गुरु उपदेश्यो धर्म-शिरोमणि, सुनि राजा वैरागे |
    राज-रमा वनितादिक जे रस, ते रस बेरस लागे ||३||

    मुनि-सूरज-कथनी-किरणावलि, लगत भरम-बुधि भागी |
    भव-तन-भोग-स्वरूप विचार्यो, परम-धरम-अनुरागी ||
    इह संसार-महावन भीतर, भरमत ओर न आवे |
    जामन-मरन-जरा दव-दाहे, जीव महादु:ख पावे ||४||

    कबहूँ जाय नरक-थिति भुंजे, छेदन-भेदन भारी |
    कबहूँ पशु-परयाय धरे तहँ, वध-बंधन भयकारी ||
    सुरगति में पर-संपति देखे, राग-उदय दु:ख होई |
    मानुष-योनि अनेक-विपतिमय, सर्वसुखी नहिं कोई ||५||

    कोई इष्ट-वियोगी विलखे, कोई अनिष्ट-संयोगी |
    कोई दीन-दरिद्री विलखे, कोई तन के रोगी ||
    किस ही घर कलिहारी नारी, कै बैरी-सम भाई |
    किस ही के दु:ख बाहर दीखें, किस ही उर दुचिताई ||६||

    कोई पुत्र बिना नित झूरे, होय मरे तब रोवे |
    खोटी-संतति सों दु:ख उपजे, क्यों प्रानी सुख सोवे ||
    पुण्य-उदय जिनके तिनके भी, नाहिं सदा सुख-साता |
    यह जगवास जथारथ देखे, सब दीखे दु:खदाता ||७||

    जो संसार-विषे सुख होता, तीर्थंकर क्यों त्यागे |
    काहे को शिवसाधन करते, संजम-सों अनुरागे ||
    देह अपावन-अथिर-घिनावन, या में सार न कोई |
    सागर के जल सों शुचि कीजे, तो भी शुद्ध न होई ||८||

    सात-कुधातु भरी मल-मूरत, चर्म लपेटी सोहे |
    अंतर देखत या-सम जग में, अवर अपावन को है ||
    नव-मलद्वार स्रवें निशि-वासर, नाम लिये घिन आवे |
    व्याधि-उपाधि अनेक जहाँ तहँ, कौन सुधी सुख पावे ||९||

    पोषत तो दु:ख दोष करे अति, सोषत

    • 13 min
    Guru Praan Chetna Mantra गुरु प्राण चेतना मंत्र

    Guru Praan Chetna Mantra गुरु प्राण चेतना मंत्र

    Guru Praan Chetna Mantra गुरु प्राण चेतना मंत्र ★
    यह एक ऐसा मंत्र है जिसके अभ्यास मात्र से गुरु की सत्ता से साधक की चेतना जुड़ने लग जाती है और वह गुरु से उन तथ्यों और ज्ञान को प्राप्त करने लग जाता है जो किसी भी साधना से संभव है ही नहीं ।

    गुरु प्राण चेतना मंत्र
    ★ ॐ पूर्वाह सतां सः श्रियै दीर्घो येताः वदाम्यै स रुद्रः स ब्रह्मः स विष्णवै स चैतन्य आदित्याय रुद्रः वृषभो पूर्णाह समस्तेः मूलाधारे तु सहस्त्रारे, सहस्त्रारे तु मूलाधारे समस्त रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय उत्तिष्ठ प्राणतः दीर्घतः एत्तन्य दीर्घाम भूः लोक, भुवः लोक, स्वः लोक, मह लोक, जन लोक, तप लोक, सत्यम लोक, मम शरीरे सप्त लोक जाग्रय उत्तिष्ठ चैतन्य कुण्डलिनी सहस्त्रार जाग्रय ब्रह्म स्वरूप दर्शय दर्शय जाग्रय जाग्रय चैतन्य चैतन्य त्वं ज्ञान दृष्टिः दिव्य दृष्टिः चैतन्य दृष्टिः पूर्ण दृष्टिः ब्रह्मांड दृष्टिः लोक दृष्टिः अभिर्विह्रदये दृष्टिः त्वं पूर्ण ब्रह्म दृष्टिः प्राप्त्यर्थम, सर्वलोक गमनार्थे, सर्व लोक दर्शय, सर्व ज्ञान स्थापय, सर्व चैतन्य स्थापय, सर्वप्राण, अपान, उत्थान, स्वपान, देहपान, जठराग्नि, दावाग्नि, वड वाग्नि, सत्याग्नि, प्रणवाग्नि, ब्रह्माग्नि, इन्द्राग्नि, अकस्माताग्नि, समस्तअग्निः, मम शरीरे, सर्व पाप रोग दुःख दारिद्रय कष्टः पीडा नाशय – नाशय सर्व सुख सौभाग्य चैतन्य जाग्रय, ब्रह्मस्वरूपं गुरू शिष्यत्वं, स-गौरव, स-प्राण, स-चैतन्य, स-व्याघ्रतः, स-दीप्यतः, स-चंन्द्रोम, स-आदित्याय, समस्त ब्रह्मांडे विचरणे जाग्रय, समस्त ब्रह्मांडे दर्शय जाग्रय, त्वं गुरूत्वं, त्वं ब्रह्मा, त्वं विष्णु, त्वं शिवोहं, त्वं सूर्य, त्वं इन्द्र, त्वं वरुण, त्वं यक्षः, त्वं यमः, त्वं ब्रह्मांडो, ब्रह्मांडोत्वं मम शरीरे पूर्णत्व चैतन्य जाग्रय उत्तिष्ठ उत्तिष्ठ पूर्णत्व जाग्रय प

    • 4 min
    Shiv Ashtakam by Shankaracharya शङ्कराचार्य कृत शिव अष्टकम्

    Shiv Ashtakam by Shankaracharya शङ्कराचार्य कृत शिव अष्टकम्

    Shiv Ashtakam by Shankaracharya शङ्कराचार्य कृत शिव अष्टकम् ★
    तस्मै नमः परमकारणकारणाय

    दीप्तोज्ज्वलज्ज्वलितपिङ्गललोचनाय । नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नमः शिवाय ॥ १ ॥

    श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय । कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय लोकत्रयार्तिहरणाय नमः शिवाय ॥ २ ॥

    पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय ।

    भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय

    नीलाब्जकण्ठसदृशाय नमः शिवाय॥ ३ ॥

    लम्बत्सपिङ्गलजटामुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय। व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रैलोक्यनाथनमिताय नमः शिवाय ॥४॥

    दक्षप्रजापतिमहामखनाशनाय क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय। ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगकरोटिनिकृन्तनाय योगनमिताय नमः शिवाय ॥५॥

    संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय
    रक्षः पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय। सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय
    शार्दूलचर्मवसनाय नमः शिवाय ॥६॥

    भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय । गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय गोक्षीरधारधवलाय नमः शिवाय ॥७॥

    आदित्यसोमवरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय। ऋक्सामवेदमुनिभिः स्तुतिसंयुताय

    गोपाय गोपनमिताय नमः शिवाय ॥ ८ ॥

    शिवाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ। शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

    ॥ इति श्री शङ्कराचार्यकृतं शिवाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

    • 5 min

Top podcast nella categoria Religione e spiritualità

Taccuino celeste
Riccardo Maccioni - Avvenire
Soli
storielibere.fm
Meditazione Guidata
Andrea Grosso
FRAGRANZE
NR Podcast
Bibbia in Podcast
Chiesa Vivovangelo
I MISTERI dell'OCCULTO di Paola Borrescio
Paola Borrescio

Potrebbero piacerti anche…

The Stories of Mahabharata
Sudipta Bhawmik
Om - Chanting and Recitation
Sukadev Bretz - Joy and Peace through Mantra
Dr Bhavik Y Khatri # EVA WOMEN'S HOSPITAL GANDHIDHAM
Khatri Bhavik
Khatu Naresh Bhajan
Hubhopper