Sadguru Vandna Vrindavan
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- Religion & Spirituality
तुझे सुनना मेरी इबादत, तेरी याद बंदगी है;
तुझे कैसे भूल जाऊं, तूं तो मेरी ज़िंदगी है!
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Satguru ki sohbat
लाख पढ़ लो किताबें नहीं कुछ असर,जब तक न हो गुरु की करुणा नज़र; पास बैठो तो आती है याद ए खुदा, ऐसे सतगुरु की सोहबत बड़ी चीज़ है अपने मुर्शिद की उल्फत बड़ी चीज़ है . . .
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Waheguru Waheguru
जो बात दवा से हो न सके वो बात दुआ से होती है, जब काबिल मुर्शीद मिलता है तो बात खुदा से होती है। _
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Aanand hi aanand baras raha
हरि-नाम रूपी जल वर्षा कर, हरि-प्रेम बगीचा लगा दिया . . .
"सतगुरु के हों सब बलि जाइया, प्रगट मार्ग जिन कर दिखयाया।
'नानक' सोहे सिमरत वेद, पारब्रह्म गुरु नहीं 'भेद'।।" -
Pila de O saaki
"निगाह ए मस्त मिलाई तो मय पिला के उठे;
जहां वो बैठ गए, मयकदा बना के उठे!” _
"सर दीने जो बूंद मिले इक, तो भी जानूं सस्ती।
पिला दे ओ साकी! हरि नाम की मस्ती।।" -
Aaj bhi aam hain unke jalwe
साधु! हरि गुरू अंतर नाही।
मो मन एक रहाई।
हरि ही गुरू, गुरू में हरि कहिए
गुरू में हरि समाई।
हरि गुरू में जो अंतर समझे
ते नर नरक गिराई।
साधु! हरि गुरू अंतर नाही।
हरि ही गुरू होए अवतरे
है जीव जगावन आई।
चेतन देव सदा शुद्ध कहिए
छिन्न-भिन्न कुछ नाही,
साधु! हरि गुरू अंतर नाही।
जो जाने सो जाने यह गति,
निज निश्चय यह मन भाई।
आपा छोड़ आप में परखे
तो भ्रम ग्रन्थि मिट जाई।
साधु! हरि गुरू अंतर नाही।
‘देवनाथ’ है शुद्ध सन्यासी
जिन यह बूटी पाई।
‘मानसिंह’ सपने नहीं दूजा
एक रूप दरसाई।
साधु! हरि गुरू अंतर नाही।