152 episodes

Padhaku Nitin is a casual and long conversation-based podcast where Aaj Tak Radio host Nitin talks to experts and discuss a wide range of topics like history, war, politics, policy, ideologies, cinema, travelling, sports, nature and everything that is interesting. A single episode of the show can be as enriching as reading four books. As we say in the podcast,Chaar kitaabe padhne jitna gyaan milega Padhaku Nitin mein.

कब कोई हक़ीक़त से मिथक बन जाता है? क्यों कोई कहानी सदियाँ पार करके हमारे सिरहाने आ बैठती है? कुछ नाम तो इंसानों की कलेक्टिव मेमोरी का हमेशा के लिए हिस्सा बन जाते हैं लेकिन पूरी की पूरी सभ्यता चुपचाप कैसे मिट जाती है?

भाषा के ग्रामर से मिले कब, क्यों, कैसे, कहां, किसने ऐसे शब्द हैं जो सेंटेंस में जुड़ जाएँ तो सवाल पैदा करते हैं और सवालों के बारे में आइंस्टीन ने कहा था- The important thing is not to stop questioning. पढ़ाकू नितिन ऐसा ही पॉडकास्ट है जिसमें किसी टॉपिक का रेशा रेशा खुलने तक हम सवाल पूछने से थकते नहीं.

Padhaku Nitin Aaj Tak Radio

    • History

Padhaku Nitin is a casual and long conversation-based podcast where Aaj Tak Radio host Nitin talks to experts and discuss a wide range of topics like history, war, politics, policy, ideologies, cinema, travelling, sports, nature and everything that is interesting. A single episode of the show can be as enriching as reading four books. As we say in the podcast,Chaar kitaabe padhne jitna gyaan milega Padhaku Nitin mein.

कब कोई हक़ीक़त से मिथक बन जाता है? क्यों कोई कहानी सदियाँ पार करके हमारे सिरहाने आ बैठती है? कुछ नाम तो इंसानों की कलेक्टिव मेमोरी का हमेशा के लिए हिस्सा बन जाते हैं लेकिन पूरी की पूरी सभ्यता चुपचाप कैसे मिट जाती है?

भाषा के ग्रामर से मिले कब, क्यों, कैसे, कहां, किसने ऐसे शब्द हैं जो सेंटेंस में जुड़ जाएँ तो सवाल पैदा करते हैं और सवालों के बारे में आइंस्टीन ने कहा था- The important thing is not to stop questioning. पढ़ाकू नितिन ऐसा ही पॉडकास्ट है जिसमें किसी टॉपिक का रेशा रेशा खुलने तक हम सवाल पूछने से थकते नहीं.

    Bigg Boss के नैरेटर की ये सच्चाई आपकी ज़िंदगी बदल सकती है: पढ़ाकू नितिन, Ep 152

    Bigg Boss के नैरेटर की ये सच्चाई आपकी ज़िंदगी बदल सकती है: पढ़ाकू नितिन, Ep 152

    हमारी पहचान की कई परतें होती हैं, नाम, काम, धर्म, शक्ल, सूरत के अलावा आवाज़ भी हमारी पहचान का अहम हिस्सा है. आवाज़ कई बार रहस्य पैदा करती हैं, आवाज़ से भ्रमित भी किया जा सकता है, तो आवाज़ें हमें जोड़ती भी हैं, आवाज़ों की अपनी दुनिया होती हैं और तो और आवाज़ करियर ऑप्शन भी है. हम-आपने कई लोगों को कहा होगा, फलाने की आवाज़ सुनी है? उसकी आवाज़ में दम है. हमाने साथ एक ऐसे शख़्स से बात की जिन्हें किसी ने बताया कि तुम्हारी आवाज़ बहुत अच्छी है और उन्होंने बस इसे कॉम्पिलमेंट की तरह नहीं लिया, इसे अपना रोज़गार बना लिया, आज शायद ही कोई ऐसा मशहूर रियैलिटी शो है जिसमें इनकी आवाज़ नहीं है. डांस इंडिया डांस से शुरू हुआ ये सफ़र बिग बॉस की ऊंचाईयों तक गया. बिग बॉस के नैरेटेर और कई फ़ेसम वेब सीरिज़ में एक्टिंग कर चुके विजय विक्रम सिंह को सुनिए ‘पढ़ाकू नितिन’ में.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 54 min
    नागा साधुओं का रहस्य और इतिहास क्या है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 151

    नागा साधुओं का रहस्य और इतिहास क्या है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 151

    नागा साधु कहां से आते हैं, कहां चले जाते हैं? कोई नागा कैसे बनता है? अघोरी और नागा में क्या फ़र्क़ है? इतिहास नागाओं के बारे में क्या बताता है? इन सारे सवालों के साथ हम मिले नागाओं पर किताब लिखने वाले चर्चित लेखक अक्षत गुप्ता से. पढ़ाकू नितिन में सुनिए क्या कहते हैं वो.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट मेंव्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 51 min
    कारगिल में हमने क्या ग़लती की और थिएटर कमांड सेना की किन मुश्किलों का हल है: पढ़ाकू नितिन, Ep 150

    कारगिल में हमने क्या ग़लती की और थिएटर कमांड सेना की किन मुश्किलों का हल है: पढ़ाकू नितिन, Ep 150

    थिएटर कमांड का शोर बहुत है लेकिन इस तरफ देश पच्चीस साल में ढाई कोस ही चला है. कोई कह रहा है कमांड्स बनने के बाद सेनाओं का स्ट्रक्चर बदल जाएगा, किसी का कहना है कि पुरानी परंपराओं को बदलना होगा, एयरफ़ोर्स के कुछ सवाल हैं तो एक्सपर्ट्स संशय जता रहे हैं कि अब आर्मी ही सुपीरियर हो जाएगी. थिएटर कमांड खुद एक मुश्किल है या मुश्किलों का समाधान हमने जाना 'पढ़ाकू नितिन' की बैठकी में गौरव सावंत के साथ. पिछले ढाई दशकों में उन्होंने दुनिया में चल रही सभी जंग कवर की हैं और कारगिल कवर करने के बाद मशहूर किताब “डेटलाइन कारगिल” भी लिखी.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 49 min
    'दैव' पर 150 साल बाद आई किताब, जो इंसानी शरीर में घुसकर बोलते हैं!: पढ़ाकू नितिन, Ep 149

    'दैव' पर 150 साल बाद आई किताब, जो इंसानी शरीर में घुसकर बोलते हैं!: पढ़ाकू नितिन, Ep 149

    कांतारा मूवी आपने देखी हो तो शायद आपको कोला याद हो. इस कोला में बुलाया जाता है “दैव” को. दैव वो ताकत हैं जिनके बारे में मान्यता है कि वो इंसानी शरीर में आकर सबके जवाब देते हैं. कुछ लोग मानते हैं वो भूत हैं. इस सब्जेक्ट पर डेढ़ सौ साल पहले एक किताब लिखी गई थी, और अब फिर आई है- “दैव”. लेखक हैं के हरि कुमार. जिस तुलु समुदाय में “दैव आराधना” का प्रचलन है कुमार उसी से संबंध रखते हैं. आज के पढ़ाकू नितिन मे उन्हीं के साथ बैठकी.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 58 min
    JNU के एक पत्थर ने खोला इतिहास, सिंधु लिपि 'अफीम' क्यों और पुराने क़िले का राज़: पढ़ाकू नितिन, Ep 148

    JNU के एक पत्थर ने खोला इतिहास, सिंधु लिपि 'अफीम' क्यों और पुराने क़िले का राज़: पढ़ाकू नितिन, Ep 148

    एक रोज़ एक आर्कियोलॉजिस्ट जेएनयू की सड़कों पर टहल रहे थे। आदत के मुताबिक़ नीचे देख रहे थे। उम्मीद नहीं थी कि चंद कदमों दूर उन्हें पत्थर का ऐसा टुकड़ा मिलेगा जो प्राचीन इतिहास को बदल देगा.. और ये पहली बार नहीं था जब बीएम पांडे को ज़मीन से मिले किसी सुराग ने इतिहास की धारा को मोड़ा हो। ASI में पैंतीस साल तक काम करनेवाले बीएम पांडे 1996 में डायरेक्टर पद से रिटायर हुए थे। पद्म विभूषण बीबी लाल के शिष्य पांडे जी ने कालीबंगा, गिलूंद, सरदारगढ़, बुर्ज़होम, थानेसर के excavations में हिस्सा लिया और दिल्ली के पुराना किले में भी अहम खोज कीं। पढ़ाकू नितिन में आज बैठकी बीएम पांडे जी के साथ ही।

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 56 min
    अटल ने जिसे एंटी नेशनल कहा वो एक्टर क्यों ख़ुद को 'भांड' कहता है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 147

    अटल ने जिसे एंटी नेशनल कहा वो एक्टर क्यों ख़ुद को 'भांड' कहता है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 147

    एक रुका हुआ फैसला, तारे ज़मीं पर, आयशा जैसी फिल्में हों या पचास साल तक देशभर में घूमकर थिएटर करना, कश्मीर का लोक नाट्य दुनिया में फैलाना या इमरजेंसी, सिख विरोधी दंगे, बाबरी विध्वंस के बाद राष्ट्रपति से मिलना और सफदर हाशमी की हत्या के बाद सहमत का बनना… एम के रैना हर जगह हैं. उनकी नई किताब आई है.. ‘Before I Forget’. इसमें आधी सदी में उन पर गुज़रे सारे किस्से दर्ज हैं.. आज ‘पढ़ाकू नितिन’ में आनंद लीजिए इस बैठकी का.


    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 1 hr 46 min

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