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झगड़ा-ए-रोज़-रो‪ज़‬ Kaavya Tarang

    • 철학

क्या आपके घर में भी मियाँ-बीवी के झगड़े आम हैं?  यदि हाँ, तो जनाब, खुशनसीब हैं आप|  यदि ये न होंगे तो कैसी बेनूर होगी ज़िंदगी|  पेश है रीतेश सब्र की आवाज में शायर सतीश बेदाग के जज़्बात |  

काव्य तरंग के अंतर्गत रेडियो प्लैबैक इंडिया की प्रस्तुति |

क्या आपके घर में भी मियाँ-बीवी के झगड़े आम हैं?  यदि हाँ, तो जनाब, खुशनसीब हैं आप|  यदि ये न होंगे तो कैसी बेनूर होगी ज़िंदगी|  पेश है रीतेश सब्र की आवाज में शायर सतीश बेदाग के जज़्बात |  

काव्य तरंग के अंतर्गत रेडियो प्लैबैक इंडिया की प्रस्तुति |

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