8 episodes

यूँ तो कहने को हैं दास्ताने कई, बस सुनने को इक तलबगार चाहिए!!!

Midah shweta

    • Society & Culture

यूँ तो कहने को हैं दास्ताने कई, बस सुनने को इक तलबगार चाहिए!!!

    एक शर्मनाक मज़ाक!

    एक शर्मनाक मज़ाक!

    आज केरल में जो हुआ , उसकी जितनी भर्त्सना की जाए उतनी ही कम, ऐसी घटनायें हमें सोचने और विवश करती हैं कि क्या सिर्फ गुनहगारों को उनके किये की सज़ा देना ही काफी है! यदि उन्हें सजा मिल भी जाती है तो क्या आनेवाले समय मे जानवरों पर ऐसे ज़ुल्म होना बंद हो जाएंगे? इंसानियत पर सवाल उठाने वाले इन कृत्यों पर गहन मंथन की आवश्यकता है!

    • 5 min
    तेज़ाब!

    तेज़ाब!

    शीतल को घर आने में काफी देर हो गयी थी, प्रायः वो कॉलेज से 4:30-5:00 तक आ जाती थी, आज पता नहीं क्या बात हो गयी कि रात के 8:00 बज गए और शीतल की कोई खबर नहीं। फोन भी नहीं लग रहा उसका, पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ और कभी किसी सहेली के घर भी जाना होता था तो बता के जाती थी, ऐसे अचानक से गायब होना शीतल का स्वभाव नहीं। शीतल के माता -पिता का मन घड़ी की सुइयों के साथ तमाम तरह की आशंकाओं से ग्रसित हो रहा था और हो भी क्यूँ ना, एक तो मुठ्ठी भर का शहर, ऊपर से आजकल का माहौल, ऐसे में जवान लड़की का यूँ लापता होना किसी बड़ी अनहोनी का इशारा करता है....

    • 8 min
    एक गुज़ारिश!

    एक गुज़ारिश!

    हमारी ज़िंदगी के अधूरे फलसफे अक्सर हमें छोड़ जाते हैं ऐसे हालात पर, जिससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है, पर वो ज़िंदगी ही क्या जिसमें कोई अधूरी ख्वाहिश या फ़साना ना हों! पर हाँ जितनी अनमोल हमारी ये अधूरी ख़्वाहिशें और सपने होतें हैं, उससे कई गुना ज़्यादा सुकून देता है सम्पूर्णता का एहसास! ये एहसास तब और सुखद हो जाता है जब ये जीवन में एक ठोकर खाने के बाद मिलता है, वो कहते हैं ना "दिल का दर्द सिर्फ दिलजले ही समझते हैं".. इसी पर आधारित है ये "गुज़ारिश" !!!

    • 2 min
    मिदाह- एक परिचय

    मिदाह- एक परिचय

    इस सम्पूर्ण सफरनामे का एक सूक्ष्म परिचय!

    • 1 min
    एक विचार!

    एक विचार!

    वर्तमान परिस्थिति को लेकर मन मे कुछ उहापोह सी मची पड़ी थी, इसी पर आधारित है आज का चिंतन, कुछ ऐसे प्रश्न जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं!

    • 6 min
    वो कौन था?

    वो कौन था?

    अक्सर रफ्तार के ज़ुनून में युवा सुरक्षा मानकों को ताक पर रखते हैं, उनकी यह लापरवाही उनके परिजनों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं होती, ऐसी ही एक घटना का चित्रण है ये रचना!

    • 2 min

Top Podcasts In Society & Culture

Dope soz / Дөп сөз
Zhomart Aralbaiuly
Замандас подкаст
Зamandas Podcast
Психология с Александрой Яковлевой
Александра Яковлева
Разговорчики по Фрейду
Арсений Володько
Горячая Линия с Мари Новосад
Мари Новосад
Хакни мозг
Ольга Килина х Богема