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Soch K dabbe KahiAnkahi With Astha Deo

    • Performing Arts

kyonki dabbon mein chizein band hoti hain log nahin!

मुझे आजाद रहने दो,​
तुम्हारी उस हर सोच से,​
जो तुम्हे मुझसे मिलते ही उकसाती है ​
बनाने के लिए एक खाका मेरा!​

मेरे छोटे से शहर का होगा,​
एक आम सा साँचा दिल में तुम्हारे,​
तुम अब तक मेरे खुले दिमाग को,​
अच्छे से जान कहाँ पाए हो ?​

वो सौ साल पुराना स्कूल मेरा,​
पिछड़ा सा लगता होगा तुमको,​
पर मेरी हज़ारों किताबों से भरी,​
उसकी लाइब्रेरी क्या अंदाज़ा है तुमको?​

मेरे लफ़्ज  जब अलग से  लगे तुम्हें  ,​
समझना अपनी जड़ों को छोड़ा नहीं मैंने अब तक ,​
किसी अलग विषय पर बात कर लेना मुझसे,​
पहनावे को पहचान मत समझना तब तक!​

मोजार्ट की  समझ मुझ में न हो शायद,​
मेरे श्लोक या आयतें ही मेरा ज्ञान हो,​
गुलज़ार की नज्में जगजीत की आवाज़,​
यहीं मेरे लिए पुरकश सुकून का  नाम हो! ​

​बहुत मुश्किल हुई है मुझको,​
इतने बरस खुद को खुद सा ही  रखने में,​
तोड़ दो अपने वह खाके, सांचे सारे,​
मुझे सोच के डब्बों  से आजाद रहने दो!​

kyonki dabbon mein chizein band hoti hain log nahin!

मुझे आजाद रहने दो,​
तुम्हारी उस हर सोच से,​
जो तुम्हे मुझसे मिलते ही उकसाती है ​
बनाने के लिए एक खाका मेरा!​

मेरे छोटे से शहर का होगा,​
एक आम सा साँचा दिल में तुम्हारे,​
तुम अब तक मेरे खुले दिमाग को,​
अच्छे से जान कहाँ पाए हो ?​

वो सौ साल पुराना स्कूल मेरा,​
पिछड़ा सा लगता होगा तुमको,​
पर मेरी हज़ारों किताबों से भरी,​
उसकी लाइब्रेरी क्या अंदाज़ा है तुमको?​

मेरे लफ़्ज  जब अलग से  लगे तुम्हें  ,​
समझना अपनी जड़ों को छोड़ा नहीं मैंने अब तक ,​
किसी अलग विषय पर बात कर लेना मुझसे,​
पहनावे को पहचान मत समझना तब तक!​

मोजार्ट की  समझ मुझ में न हो शायद,​
मेरे श्लोक या आयतें ही मेरा ज्ञान हो,​
गुलज़ार की नज्में जगजीत की आवाज़,​
यहीं मेरे लिए पुरकश सुकून का  नाम हो! ​

​बहुत मुश्किल हुई है मुझको,​
इतने बरस खुद को खुद सा ही  रखने में,​
तोड़ दो अपने वह खाके, सांचे सारे,​
मुझे सोच के डब्बों  से आजाद रहने दो!​

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