1 episode

To mom, to divine

Tumse Hi ambiguity

    • Arts

To mom, to divine

    हम असमर्थताओं से नहीं सम्भावनाओं से घिरे हैं

    हम असमर्थताओं से नहीं सम्भावनाओं से घिरे हैं

    तुम्हारे साथ रहकर
    अक्सर मुझे लगा है
    कि हम असमर्थताओं से नहीं
    सम्भावनाओं से घिरे हैं,
    हर दिवार में द्वार बन सकता है
    और हर द्वार से पूरा का पूरा
    पहाड़ गुज़र सकता है।

    शक्ति अगर सीमित है
    तो हर चीज़ अशक्त भी है,
    भुजाएँ अगर छोटी हैं,
    तो सागर भी सिमटा हुआ है,
    सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है,
    जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है
    वह नियति की नहीं मेरी है।

    सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    • 1 min

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