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Yun Tum chup na raho KahiAnkahi With Astha Deo

    • Performing Arts

यूँ तुम चुप न रहो!
कह दो तुम,

यूँ  चुप न रहो,

चुप रहने को यूँ मान न दो,

सहने को अब सम्मान न दो !

चुप रहना क्यों जरूरी है,

सहने की क्या मजबूरी है,

कहने का जो एक तरीका हो,

बातों में जो एक सलीका हो,

सच भी तब मीठा लगता है,

जीवन नहीं रीता लगता है!

बोलो जो दिल की बातें हो,

कह दो जो मीठी यादें हो,

कह लो वो किस्से गिरने के,

गुम  होने और न मिलने के,

बातों का यूँ अपमान न हो,

चुप रहने का सम्मान न हो!

बच्चों की बातों में है सपने,

बड़ों की बातें में है अपने,

साथ मिलो और मिलके कहो,

जो बातें दिल के अंदर हो,

यूँ अंदर तुम घुटते न रहो,

पानी हो तो दरिया सा बहो!

हो न बातें अगर तुम्हारे पास,

नहीं  जरूरी तुम खुद को बदलो,

पर सपनों को और अपनों को,

शब्दों का इक  जामा तो दो,

कह दो जब दिल में उल्लास हो,

या फिर जब भी मन उदास हो।

कुछ बातें ऐसी भी होंगी,

जो दिल में चुभ रही होंगी,

उनको अपनों या अपने से,

कहके अब किस्सा खत्म करो ,

फिर हलके दिल संग उड़ान भरो,

जा कर अपने क्षितिज को छू लो!

सच को अपने सुन लेते हैं,

सच्चाई को सपने चुन लेते हैं,

सहने में अगर जहाँ शक्ति हो  ,

वहां अत्याचार की न अंधभक्ति हो,

सही गलत की पहचान जो हो,

ईमानदारी का सम्मान ही हो !

अपना सच कह दो तुम,

यूँ अब तुम चुप न रहो,

चुप रहने को यूँ मान न दो,

सहने को अब सम्मान न दो !

यूँ तुम चुप न रहो!
कह दो तुम,

यूँ  चुप न रहो,

चुप रहने को यूँ मान न दो,

सहने को अब सम्मान न दो !

चुप रहना क्यों जरूरी है,

सहने की क्या मजबूरी है,

कहने का जो एक तरीका हो,

बातों में जो एक सलीका हो,

सच भी तब मीठा लगता है,

जीवन नहीं रीता लगता है!

बोलो जो दिल की बातें हो,

कह दो जो मीठी यादें हो,

कह लो वो किस्से गिरने के,

गुम  होने और न मिलने के,

बातों का यूँ अपमान न हो,

चुप रहने का सम्मान न हो!

बच्चों की बातों में है सपने,

बड़ों की बातें में है अपने,

साथ मिलो और मिलके कहो,

जो बातें दिल के अंदर हो,

यूँ अंदर तुम घुटते न रहो,

पानी हो तो दरिया सा बहो!

हो न बातें अगर तुम्हारे पास,

नहीं  जरूरी तुम खुद को बदलो,

पर सपनों को और अपनों को,

शब्दों का इक  जामा तो दो,

कह दो जब दिल में उल्लास हो,

या फिर जब भी मन उदास हो।

कुछ बातें ऐसी भी होंगी,

जो दिल में चुभ रही होंगी,

उनको अपनों या अपने से,

कहके अब किस्सा खत्म करो ,

फिर हलके दिल संग उड़ान भरो,

जा कर अपने क्षितिज को छू लो!

सच को अपने सुन लेते हैं,

सच्चाई को सपने चुन लेते हैं,

सहने में अगर जहाँ शक्ति हो  ,

वहां अत्याचार की न अंधभक्ति हो,

सही गलत की पहचान जो हो,

ईमानदारी का सम्मान ही हो !

अपना सच कह दो तुम,

यूँ अब तुम चुप न रहो,

चुप रहने को यूँ मान न दो,

सहने को अब सम्मान न दो !

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