Magan Megh MAGAN MEGH
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Hmm....
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Gulaab Ka Phool - Magan Megh
मुझे नहीं पता था कि बागबानी कैसे करते हैं और ना ही पौधों के बारे में कोई खास जानकारी पर एक दिन जब मैं घर आया तो घर के बाहर एक पौधे बेचने वाला खड़ा था, मुझे पौधों में कोई दिलचस्पी तो नहीं थी पर पता नहीं क्यों उस दिन मैंने दस रुपए में वो गुलाब की कलम ले ली।
उस दिन मैं घर में घुसने से पहले वापिस बाहर गया और चालीस रुपए का मिट्टी का एक सुंदर सा गमला ले आया , उसे मैंने खिड़की में रख दिया, वो गमला हाथ से बनाया हुआ किसी कलाकार की कलाकारी का सबसे उम्दा नमूना था, बेहद ही सुंदर और ऊपर से उस पर बनाए हुए गेंदे और गुलाब के छोटे छोटे फूल, मैंने उसी दिन गुलाब की उस कलम को उस गमले में रोप दिया।
मैं रोज उस गमले में पानी डाला करता, एक अजीब सा जुड़ाव हो गया था मेरा उस मिट्टी के गमले के साथ, जैसे वो मेरा दोस्त था। मैं बिस्तर पर लेटे हुए रोज़ उस मिट्टी के गमले से बाते करता था और इन्हीं दिनों के बीच एक अद्भुत घटना घटी। एक शाम जब मैं घर लौटा तो मैंने देखा कि जिस गुलाब की कलम को लगा कर मैं कब का भूल चुका था आज उस पर एक नन्हा सा गुलाब का फूल था, वो नन्हा गुलाब ऐसे लग रहा था कि जैसे उस मिट्टी के गमले ने सर पर कोई गहना पहना हो, उस गुलाब के आने से गमला और भी सुंदर हो गया था।
एक जब मैं सुबह सुबह अपने घर के आंगन में बैठा अखबार पढ़ रहा था तभी एक छोटी सी लड़की मेरे घर के आगे से अपनी मां के साथ गुजरी, उसने स्कूल ड्रेस पहन रखी थी। उस छोटी लड़की ने मेरे घर में पड़े उस गमले की तरफ देखा और अपनी मां से उस नन्हे गुलाब के लिए ज़िद करने लगी। थोड़ी देर बाद एक लड़की भी मेरे घर के आगे से गुजरी और तेज चलते हुए उसके कदम मेरी खिड़की की ओर देख कर धीमे पड़ गए, शायद उसने भी मेरे सुंदर गमले की सुंदरता को परख लिया था जब मैंने उसे बताया की ये गमला मैं कहां से लाया तो वो बोली की वो तो सिर्फ उस गुलाब को देख रही थी। थ -