Bolte Panne Podcasts Bolte Panne
-
- News
आपके मुद्दों और डायरी के पन्नों की आवाज है बोलते पन्ने। कविताएं लिखते हैं तो हमारी वीडियो कविता श्रृंखला से जुड़िए। रोज सुनिए अखबार समीक्षा, साप्ताहिक पॉडकास्ट। साथ ही यहां आपको मिलेंगी न्यूज रिपोर्ट, साक्षात्कार और डॉक्यूमेंट्री भी। हमसे जुड़ने के लिए संपर्क करिए boltepanne@gmail.com पर।
-
कुछ फैसलों पर टिकी थीं देश की उम्मीदें...टूट गईं | इस सप्ताह - Gajendra Singh | बोलते पन्ने
पत्रकार गजेंद्र सिंह रिक्की बता रहे हैं पिछले साल के उन अहम फैसलों के बारे में जिसमें से ज्यादातर ने सुप्रीम कोर्ट की साख पर बट्टा लगाया।
-
इश्क़ का सप्ताह || Story : Alok Poddar | Narration : Amitkmr Gwal
#storytelling #fasana #boltepanne
-
यूपी में CM चाहे जो बने, बेरोजगारी के सरकारी आंकड़ों का खेल जान लें | Research Engine, Ep-29
योगी सरकार ने यूपी में बेरोजगारी घटने का आंकड़ा दिया कि उनके शासनकाल में 12 प्रतिशत बेरोजगारी घटी, ऐसे आंकड़ों की असलियत क्या है, जनिए इस पॉडकास्ट में। आपके लिए इसे जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि इस विधानसभा चुनाव #UPelection का रिजल्ट भले जो भी रहे पर हालिया सरकार ने जिस तरह के उदाहरण पेश किए हैं, वे जनता के लिए चेतावनी हैं कि आने वाली सरकारें ऐसा न करें। बोलते पन्ने के #reserachengine सेग्मेंट के लिए यह रिपोर्ट शिवांगी #Shivangifriedi ने लिखी है जो पेशे से पत्रकार हैं। उन्हीं की आवाज में पॉडकास्ट सुनिए ... हमारी टीम की बनायी रिसर्च आधारित रिपोर्ट्स देखने के लिए प्लेलिस्ट पर जाकर ‘रिसर्च इंजन’ को क्लिक करें।
लिंक - https://www.youtube.com/playlist?list... -
Covid Memorial : Zero Deaths के दावों की पोल खोलते Kyara गांव वालों के आंसू | Bareilly
कोरोना महामारी में बीमार सरकारी तंत्र के चलते बहुत से लोगों ने जान गंवाई, ऐसे लोगों के परिजनों से बातचीत के आधार पर हम इन मृतकों की कोरोना स्मृतिका या कोविड मेमोरियल तैयार कर रहे हैं। इस खास श्रृंखला की पहली स्टोरी हाजिर है। बोलते पन्ने के लिए ये रिपोर्ट शिवांगी ने बरेली के क्यारा गांव जाकर की है। बरेली से केवल 15 किलोमीटर दूर ये गांव एक ब्लॉक मुख्यालय है, यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भी है, इसके बावजूद संक्रमण की यहां रोकथाम नहीं हो सकी। सरकारी अमला गांव वालों पर ही इल्जाम लगाने लगा कि मुआवजे के लिए ये झूठी कहानी गढ़ रहे हैं। 15 अप्रैल, 2021 को हुए पंचायत चुनाव के बाद यहां जो तबाही आई, वो दर्द गांव वाले आज भी झेल रहे हैं। सुनिए पूरी खबर, आप यूट्यूब पर जाकर ये वीडियो देख सकते हैं...
#Covidmemorial #Kyaravillage #Shivangifriedi
----------------
बोलते पन्ने ... आपके मुद्दों और डायरी के पन्नों की आवाज।
ये मंच एक कोशिश है हिन्दी पत्रकारिता की खोई साख को दोबारा स्थापित करने की। हम मध्य वर्ग वाले भारतीयों तक गंभीर पत्रकारी रिपोर्ट पहुंचाने का काम कर रहे हैं ताकि आपके जीवन में उससे कुछ असर हो सके। साथ ही हमारी कोशिश आप तक अखबारों की समीक्षा पहुंचाने की है ताकि आपको पता रहे कि क्या खबर है और क्या प्रोपोगैंडा!
अब बात डायरी के पन्नों की... अगर आप लिखते हैं तो अपनी कविताएं हमें भेजिए और हमारी प्लेलिस्ट पर जाकर ‘मुक्तक’ कविता श्रृंखला में रचनात्मक तरीके से पेश की गईं कविताएं देखिए। हम मानते हैं कि कविताएं सिर्फ रोमानियत भर के लिए नहीं होतीं, वे गंभीर से गंभीर मुद्दे को कम शब्दों में बयां करने की कुव्वत होती हैं...इसलिए अपने डायरी के पन्नों को हमारे साथ मिलकर आवाज दें।
हमारे वीडियो देखने के लिए बहुत आभार। अगर आप इस चैनल पर नए हैं तो हम गुजारिश करेंगे कि चैनल को सब्सक्राइब कर -
लावारिस गोवंश से परेशान किसान UP चुनाव के हर चरण का मुद्दा | Research Engine
#straycattle #UPelection यूपी के ग्रामीण इलाकों में पिछले पांच साल में क्या बदला, इसको लेकर भले सबसे अपने-अपने मत हों , मगर एक बात से हर राजनीतिक विचारधारा वाले लोग सहमत होंगे कि इस अवधि में लावारिस और भटकते गोवंश की तादाद बहुत तेजी से बढ़ गई है। हालात ये हैं कि जिस कड़कती जनवरी में लोग अपने बिस्तर में भी सुकुड़े बैठे थे, यूपी के किसानों को वे रातें अपने खेतों में फसलों की रखवाली करते हुए गुजारनी पड़ीं। कई खबरों में किसानों की इस दशा को प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘पूस की रात’ का हलकू कहा गया। जानिए क्या है इस पूरे मामले के पीछे के कारण, क्या कहते हैं आंकड़े। रिपोर्ट लाए हैं गजेंद्र सिंह रिक्की और शिवांगी । हमारी टीम की बनायी रिसर्च आधारित रिपोर्ट्स देखने के लिए प्लेलिस्ट पर जाकर ‘रिसर्च इंजन’ को क्लिक करें। लिंक - https://www.youtube.com/playlist?list...
-
Reporter ki Diary : हम अलग-अलग होकर भी एक | With Shalini Bajpai, ep-2 (Bolte Panne)
पत्रकार शालिनी बाजपेयी इस संडे अपनी डायरी के उन पन्नों को पलट रही हैं जो हमें बचपन की उन गलियों में ले जाते हैं, जहां मिश्रित बसावट में कई धर्मों के लोग एकसाथ पीढ़ी-दर-पीढ़ी रह लेते थे। जहां एक-दूसरे को लेकर लोग भले भोजन का परहेज करते, मगर उन्होंने कभी किसी दूसरे की थाली जबरन बदलवाने की कोशिश नहीं की। वे अलग-अलग होने के बावजूद एक ही से थे या कहें कि अब भी एक ही से हैं। बता दें कि शालिनी जी ने प्रिंट मीडिया में लंबे वक्त तक काम किया और अभी वे बतौर एक टीवी पत्रकार काम कर रही हैं। youtube https://youtu.be/w9Fq0ceZsRM