
'लोकतंत्र की नींव क़ानून व न्यायिक व्यवस्था की पुनर्बहाली पर टिकी है'
हिंसक टकराव से गुज़र रहे या फिर शान्ति समझौते के बाद लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने के लिए इच्छुक देशों में कोर्ट-कचहरी, जेल, क़ानून व्यवस्था अक्सर ध्वस्त हो चुकी होती है, और इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि वहाँ क़ानून के शासन को फिर से बहाल किया जाए. दक्षिण सूडान में यूएन शान्तिरक्षा मिशन (UNMISS) में ‘क़ानून का शासन व सुरक्षा क्षेत्र में सुधार’ विभाग के निदेशक अनीस अहमद ने, यूएन न्यूज़ हिन्दी के सचिन गौड़ के साथ बातचीत में बताया कि देश में ढह चुकी क़ानून व न्यायिक व्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए सचल न्यायालयों समेत अन्य दीर्घकालिक उपायों का सहारा लिया जाता है ताकि आमजन की समस्याओं का निपटारा हो और संस्थाओं में लोगों का भरोसा बहाल हो सके.कृत्रिम बुद्धिमता (एआई), टैक्नॉलॉजी, भ्रामक व जानबूझकर फैलाई जाने वाली ग़लत जानकारी जैसी समस्याओं से, न्यायिक व क़ानून व्यवस्था की पुनर्बहाली में चुनौतियाँ और गहरी हुई हैं. उन्होंने कहा कि हर देश, हर समाज की तस्वीर अलग होती हैं, और इसलिए वहाँ स्थानीय सन्दर्भ के अनुरूप ही समाधान विकसित किए जाते हैं.
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- FrequencyEvery two weeks
- Published5 November 2025 at 20:20 UTC
- Length13 min
- RatingClean