Zubaan-E-Madhav madhav sharma
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- Arts
This Podcast, brings you the joy of listing to the mesmerizing writings and poems of legendary & immortal urdu & Hindi poets.
I, Madhav will be reciting these poems & talk about the lives of poets and their Journey to immortality. Come Join me in this journey of recitation & narrations.
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NAMUKKAMAL
बस यूँ ही इक रात तुम मेरे सपनों मे टहले आंयी थी।
मेरे बेहरनगी सीने में माथा रख़ तुम धड़कन गिन रही थी ,
मै तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में फसी उलझनों को सुलझा रहा था ,
और तुम मुसलसल, अपनी पलकें मीच रही थी। -
AHMAD FARAZ। Zubaan-E-Madhav। Urdu Poetry
उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे, मैने तो उसके पांव में सारा क़लाम रख दिया। 'अहमद फ़राज़' , इश्क और मोहब्बत बयां करने का जिनका एक अलग ही अंदाज रहा। उनकी कुछ नज्में और गज़लें।
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ACHA CHALO JAANE DO
वो रात बतियाती ,दिन सुलाते , उस कोने वाले पलंग पर ,
जहा पर एक ख्वाबी तुम अक़्सर साथ लेटी रहती। और कुछ ख़्याल है जो आज छन कर आये है।
कुछ मलाल है, जो कही टहलके दूर जाता ही नहीं। -
FAIZ AHMAD FAIZ। Zubaan-E-Madhav । Urdu Poetry
'दिल नाउमीद तो नही नाकाम ही तो है, लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।' - फैज़ अहमद फैज़ साहब। अपने दौर के सबसे पसंदीदा तारक्कीपसंद शायर। इंसानिया के लिए लड़ना जिनकी फितरत थी। यह मुकाम, उस हौसले के नाम।
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TO YOU
Even when it continues, in midst of Chaos,
on another lazy afternoon,
Will wait for that one last call!
Ill Smile for I met you!
And watch you leave, Again! -
DR RAHAT INDORI। Zubaan-E-Madhav/ Urdu Poetry
' मैं मर जाऊ तोह मेरी अलग एक पहचा लिख देना, मेरे लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना' - यह थे, ड्र राहत इंदौरी। मुशायरों में इनको जो मुकाम हासिल है वह हैरत ज़दा है। कुछ ऐसे शेर जो रूह तक को झंझोड के रख दे। पहला मुकाम ऐसे अफसाने के नाम।