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उम्मीद सी मोहब्बत by Shraddha Singh Maninanest Publication

    • Uitvoerende kunst

हवाओं से दिल लगाकर, मन को मीरा सा सजाकर
पतंगों से वफाओं की तलाश में निकली, मन को मजबूत समझकर , कांटों के इंतजार में ठहरी ,
गुलाब की पंखुड़ियों सी मोहब्बत ।

उसके होठों के दर्मिया, अपनी कश्ती उतारे ,
बंजारो सा दिल लिए, उसी कश्ती पर लहरों किनारे
खौफजदा मुस्कुराती, बड़ी कमसिन सी,
कभी भी डूबने वाली , तैरती सी मोहब्बत ।

जाने पहचाने अश्क में, अनजानी सी मोहब्बत,
ठहर जाने के डर में, भागती सी मोहब्बत,
पत्तों पर वाष्प सा लड़का,
और उस पर अटकी, वो अल्हड़ सी मोहब्बत ।

रेत सी चलती, कोयले सी तपती,
धूप में रोटियां पकाती,
उम्मीदों के धरातल में,
नाउम्मीद हो चुकी
उम्मीद सी मोहब्बत ।

ऐसी ही, हम जैसी , हमारी ही मोहब्बत।

हवाओं से दिल लगाकर, मन को मीरा सा सजाकर
पतंगों से वफाओं की तलाश में निकली, मन को मजबूत समझकर , कांटों के इंतजार में ठहरी ,
गुलाब की पंखुड़ियों सी मोहब्बत ।

उसके होठों के दर्मिया, अपनी कश्ती उतारे ,
बंजारो सा दिल लिए, उसी कश्ती पर लहरों किनारे
खौफजदा मुस्कुराती, बड़ी कमसिन सी,
कभी भी डूबने वाली , तैरती सी मोहब्बत ।

जाने पहचाने अश्क में, अनजानी सी मोहब्बत,
ठहर जाने के डर में, भागती सी मोहब्बत,
पत्तों पर वाष्प सा लड़का,
और उस पर अटकी, वो अल्हड़ सी मोहब्बत ।

रेत सी चलती, कोयले सी तपती,
धूप में रोटियां पकाती,
उम्मीदों के धरातल में,
नाउम्मीद हो चुकी
उम्मीद सी मोहब्बत ।

ऐसी ही, हम जैसी , हमारी ही मोहब्बत।

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