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Web Series & Indian Cinema Creative Terrorism ‪!‬ Ramniwas Saraswat

    • Politiek

हम भारतीय मिजाज से शौक़ीन माने जाते हैं, हम लोगों के शौक जरा Different Type के होते हैं, मसलन कोना देखकर मूत देना, कहीं भी थूक देना, नियम कानून की माँ बहन करके खुद को तीस मार खां समझना,

Shortcut में कहा जाय तो हम भारतीय गंध फ़ैलाने या गंध बटोरने में World Champion हैं, लेकिन हमारे कुछ शौक ऐसे हैं जो ना ही मात्र राष्ट्रीय स्टार पर गंध फैला रहे बल्कि दुनिया भर में गंदगी सप्लाई कर रहे हैं

तो मित्रों आप टाइटल से समझ गये होंगे कि आज का टॉपिक वेब सीरीज हैं, ऐसी गंदगियाँ देखने का आप लोगों ने जो शौक पाला है वो हमारे देश का कितना नुकसान कर रहा है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते

भारत की छवि धूमिल करनी हो, आर्मी को नीचा दिखाना हो, देश के बहुसंख्यक वर्ग के खिलाफ नफरत फैलाना हो ऐसी कोई गंदगी नहीं है जो ये वेब सीरीज ना फैलाती हों

वेब सीरीज के जरिये इनके मानसिक बीमार निर्माता निर्देशक अपने घटिया एजेंडे ऐसे शातिराना माध्यम से अंजाम देते हैं जिसका पता लगा पाना शौक़ीन लोगों के बस का नहीं होता

सेक्रेड गेम्स में आतंकवाद को अध्यात्म से जोड़ना हो या फिर लीला में बहुसंख्यक वर्ग को तालिबान के रूप में दर्शाना, इनके दर्शकों को अंदाजा भी नहीं होगा कि इनके Makers वास्तव में दिखाना क्या चाहते हैं

उदाहरण स्वरूप हाल ही में आयी ‘पाताल लोक’ नामक गंदगी को ले लें, इस वेब सीरीज के Makers एक लौंडे से खुले में हस्तमैथुन करवा रहे हैं जबकि यहाँ मूतने के लिए लोगों को कोना तलाशना पड़ता है

मित्रों सिनेमा भारत की छवि धूमिल करने का या भारत को नीचा दिखाने का एक हमेशा से ही एक ताकतवर जरिया रहा है बस पैंतरे समय-दर-समय बदलते रहे हैं

किसी टाइम सिनेमा के पितामाह माने जाने वाले सत्यजीत रे गरीब, फटेहाल और मुर्दा भारत की छवि पेश करके विदेशों में वाहवाही और अवार्ड लूटते रहे तो 90 के दशक में निर्माता-निर्देशक फिल्मो

हम भारतीय मिजाज से शौक़ीन माने जाते हैं, हम लोगों के शौक जरा Different Type के होते हैं, मसलन कोना देखकर मूत देना, कहीं भी थूक देना, नियम कानून की माँ बहन करके खुद को तीस मार खां समझना,

Shortcut में कहा जाय तो हम भारतीय गंध फ़ैलाने या गंध बटोरने में World Champion हैं, लेकिन हमारे कुछ शौक ऐसे हैं जो ना ही मात्र राष्ट्रीय स्टार पर गंध फैला रहे बल्कि दुनिया भर में गंदगी सप्लाई कर रहे हैं

तो मित्रों आप टाइटल से समझ गये होंगे कि आज का टॉपिक वेब सीरीज हैं, ऐसी गंदगियाँ देखने का आप लोगों ने जो शौक पाला है वो हमारे देश का कितना नुकसान कर रहा है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते

भारत की छवि धूमिल करनी हो, आर्मी को नीचा दिखाना हो, देश के बहुसंख्यक वर्ग के खिलाफ नफरत फैलाना हो ऐसी कोई गंदगी नहीं है जो ये वेब सीरीज ना फैलाती हों

वेब सीरीज के जरिये इनके मानसिक बीमार निर्माता निर्देशक अपने घटिया एजेंडे ऐसे शातिराना माध्यम से अंजाम देते हैं जिसका पता लगा पाना शौक़ीन लोगों के बस का नहीं होता

सेक्रेड गेम्स में आतंकवाद को अध्यात्म से जोड़ना हो या फिर लीला में बहुसंख्यक वर्ग को तालिबान के रूप में दर्शाना, इनके दर्शकों को अंदाजा भी नहीं होगा कि इनके Makers वास्तव में दिखाना क्या चाहते हैं

उदाहरण स्वरूप हाल ही में आयी ‘पाताल लोक’ नामक गंदगी को ले लें, इस वेब सीरीज के Makers एक लौंडे से खुले में हस्तमैथुन करवा रहे हैं जबकि यहाँ मूतने के लिए लोगों को कोना तलाशना पड़ता है

मित्रों सिनेमा भारत की छवि धूमिल करने का या भारत को नीचा दिखाने का एक हमेशा से ही एक ताकतवर जरिया रहा है बस पैंतरे समय-दर-समय बदलते रहे हैं

किसी टाइम सिनेमा के पितामाह माने जाने वाले सत्यजीत रे गरीब, फटेहाल और मुर्दा भारत की छवि पेश करके विदेशों में वाहवाही और अवार्ड लूटते रहे तो 90 के दशक में निर्माता-निर्देशक फिल्मो

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