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गीता सार – अध्याय 13 Geeta Saar (Hindi)

    • Spirituality

क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग
जो व्यक्ति शरीर, आत्मा, परमात्मा और ज्ञान के रहस्यों को समझ जाता है वह इस संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है।
आत्मा में ही परमात्मा का वास होता है। क्युँकि वह उसकी का भाग है। लेकिन अज्ञानवश मनुष्य उसे समझ नहीं पाता। इसलिए पहले ज्ञान हासिल करना चाहिए।
ज्ञान का मकसद उस परमात्मा को समझना है। लेकिन इसके लिए मनुष्य को सदाचारी बनना चाहिए। अन्यथा उसमें अहंकार हो जायेगा। फिर वह इस रहस्य को समझा नहीं पायेगा। और परमात्मा को अपने भीतर खोज भी नहीं पायेगा।
कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय - 13 धन्यवाद

क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग
जो व्यक्ति शरीर, आत्मा, परमात्मा और ज्ञान के रहस्यों को समझ जाता है वह इस संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है।
आत्मा में ही परमात्मा का वास होता है। क्युँकि वह उसकी का भाग है। लेकिन अज्ञानवश मनुष्य उसे समझ नहीं पाता। इसलिए पहले ज्ञान हासिल करना चाहिए।
ज्ञान का मकसद उस परमात्मा को समझना है। लेकिन इसके लिए मनुष्य को सदाचारी बनना चाहिए। अन्यथा उसमें अहंकार हो जायेगा। फिर वह इस रहस्य को समझा नहीं पायेगा। और परमात्मा को अपने भीतर खोज भी नहीं पायेगा।
कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय - 13 धन्यवाद

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