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गीता सार – अध्याय 15 Geeta Saar (Hindi)

    • Spirituality

पुरुषोत्तमयोग
वेदों के सारे ज्ञान का यही निचोड़ है कि मनुष्य को मोह -माया का त्याग कर खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। यही सबसे बड़ा योग है।
मोह -माया के कारण मनुष्य ईश्वर को प्राप्त नहीं कर पाता है। क्युँकि उसका मन, धन व अन्य भौतिक चीजों से प्रेम करने लगता है। इससे वह ईश्वर प्राप्ति के मार्ग से दूर हो जाता है।
उत्तम पुरुष वही है जो मोह का त्याग करके खुद को ईश्वर की भक्ति में समर्पित कर दे।

कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय -15 धन्यवाद

पुरुषोत्तमयोग
वेदों के सारे ज्ञान का यही निचोड़ है कि मनुष्य को मोह -माया का त्याग कर खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। यही सबसे बड़ा योग है।
मोह -माया के कारण मनुष्य ईश्वर को प्राप्त नहीं कर पाता है। क्युँकि उसका मन, धन व अन्य भौतिक चीजों से प्रेम करने लगता है। इससे वह ईश्वर प्राप्ति के मार्ग से दूर हो जाता है।
उत्तम पुरुष वही है जो मोह का त्याग करके खुद को ईश्वर की भक्ति में समर्पित कर दे।

कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय -15 धन्यवाद

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