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महाविद्या छिन्नमस्ता रहस्‪य‬ Pitaambara Dash Mahavidhya Rahasy

    • Spirituality

आद्या शक्ति अपने स्वरूप का वर्णन करते हुए कहती हैं कि मैं छिन्न शीश अवश्य हूं लेकिन अन्न के आगमन के रूप सिर के सन्धान (सिर के लगे रहने) से यज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित हूं। जब सिर संधान रूप अन्न का आगमन बंद हो जाएगा तब उस समय मैं छिन्नमस्ता ही रह जाती हूं। इस महाविद्या का संबंध महाप्रलय से है। महाप्रलय का ज्ञान कराने वाली यह महाविद्या भगवती त्रिपुरसुंदरी का ही रौद्र रूप है। सुप्रसिद्ध पौराणिक हयग्रीवोपाख्यान का (जिसमें गणपति वाहन मूषक की कृपा से धनुष प्रत्यंचा भंग हो जाने के कारण सोते हुए विष्णु के सिर के कट जाने का निरूपण है) इसी छिन्नमस्ता से संबद्ध है।

आद्या शक्ति अपने स्वरूप का वर्णन करते हुए कहती हैं कि मैं छिन्न शीश अवश्य हूं लेकिन अन्न के आगमन के रूप सिर के सन्धान (सिर के लगे रहने) से यज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित हूं। जब सिर संधान रूप अन्न का आगमन बंद हो जाएगा तब उस समय मैं छिन्नमस्ता ही रह जाती हूं। इस महाविद्या का संबंध महाप्रलय से है। महाप्रलय का ज्ञान कराने वाली यह महाविद्या भगवती त्रिपुरसुंदरी का ही रौद्र रूप है। सुप्रसिद्ध पौराणिक हयग्रीवोपाख्यान का (जिसमें गणपति वाहन मूषक की कृपा से धनुष प्रत्यंचा भंग हो जाने के कारण सोते हुए विष्णु के सिर के कट जाने का निरूपण है) इसी छिन्नमस्ता से संबद्ध है।

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