17 episodios

Zehan is a weekly podcast where Ayan Sharma recites his poems.

Zehan Ayan Sharma

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Zehan is a weekly podcast where Ayan Sharma recites his poems.

    Tu Likhe Ya Na Likhe

    Tu Likhe Ya Na Likhe

    तू लिखे या ना लिखे
    तू लिखे या ना लिखे, मसरूफ़ होना चाहिए।
    अनकहे से वाक्य को, मशहूर होना चाहिए।
    बेज़ुबानी बात के हर, मेज़बानी अक्षरों को
    काले गहरे पन्नों पर, महफूज़ होना चाहिए।।
    ***

    • 39 segundos
    Kyun Hoon

    Kyun Hoon

    क्यों हूँ
    ओढ़कर छांव रहबर का भी, आहिस्ता क्यों हूँ?
    अबस मैं अजनबी इस दौड़ का, हिस्सा क्यों हूँ?
    तबस्सुम सी नज़र से, नज़्में अक्सर मुझसे पूछे है,
    हरएक अन्जाम में मैं, हार का किस्सा क्यों हूँ?
    ***

    • 37 segundos
    Kafi Hai

    Kafi Hai

    काफी है
    महफ़िल तेरी, शिरक़त मेरी, बेशक़ बड़ी ज़हमत।
    तेरे ही नाम में चर्चा मेरा, गुमनाम काफी है।।
    मेरी हैं गर्द सी गुस्ताखियां, और ग़ैरती से ग़म।
    मगर हों दिल में तेरी धड़कनें, एहसास काफी है।।
    ***

    • 49 segundos
    Zehanaseeb

    Zehanaseeb

    ज़हे-नसीब
    ख़ुदा शौक़ीन है "ज़ेहन" की ज़हे-नसीब नज़्मों का।
    मौसम शांत हो अक्सर कर वो बूंदे गिराया है।।
     
    अपनी खामोशियों को यूं जो पन्नो पर उतारा है।
    बनेंगे अश्क़ के कारण या कुर्बत भी गवारा है।
    बख़ूबी जानता हर इक अदद कमज़ोरियाँ मेरी।
    आँखे बंद थी, सोया था, सपनों से जगाया है।।
     
    बहुत शौक़ीन है अल्लाह बख़ूबी ख़ुद लिखाया है।।
    ***

    • 48 segundos
    Baaki Hai

    Baaki Hai

    बाकी है
    बेपरवाहियाँ मेरी, उसी परवरिश का हिस्सा हैं,
    जहाँ मुलाकात में बिछड़ने का, रिवाज़ बाकी है।
    ये बूंदे हैं बस जो, कहकाशीं रातों में गिर आयीं,
    अभी मिलना मेरा, घुलना तेरा, बरसात बाकी है।।

    • 42 segundos
    Mubarak

    Mubarak

    मुबारक़
    समूचे भूधरा को, घरघटा नें घेर रखा है,
    महज़ सपना तेरा सपना, तुझे सपना मुबारक़।
    तेरी आंखें जो चाहे, जलते नभ का अंश भी देखे,
    महज़ चंदा दिखा शीतल, तुझे चंदा मुबारक़।।
    ***

    • 35 segundos

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