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गीतों की बस्ती का शहज़ादा ... घनश्याम शर्म‪ा‬ Safal Sharma

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*गीतों की बस्ती का शहज़ादा...*

मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार। -2
मैं गीत बनाता, गीत ही गाता और मैं करता प्यार।
मैं गीतों की...

मेरी बांहों में संगीतों के सागर हैं लहराते। -2
पास मेरे सुख-दुख जब आते, गीत *खुशी* के ही गाते।
दर्दों में भी चीर निकालूं...
दर्दों में भी चीर निकालूं, खुशी की मैं झंकार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।

दुख-तकलीफें हो या हों जीवन में तेरे अंधियारा। -2
पास मेरे आ जा प्यारे, तू छोड़ के सब मेरे यारा।
तेरे हर कष्टों का यारा...
तेरे हर कष्टों का यारा, कर दूंगा संहार ।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।

*सोचो जीने आए हो या आए हो तुम मरने। -2*
*आए थे कुछ करने और तुम लगे हो कुछ ही करने।*
हंसी-खुशी और प्यार मोहब्बत...
*हंसी-खुशी और प्यार मोहब्बत, है ये जीवन सार।।*
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।

मैं गीत बनाता, गीत ही गाता और मैं करता प्यार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।
हूँ... हूँ.. हूँ...
-- *घनश्याम शर्मा*

*गीतों की बस्ती का शहज़ादा...*

मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार। -2
मैं गीत बनाता, गीत ही गाता और मैं करता प्यार।
मैं गीतों की...

मेरी बांहों में संगीतों के सागर हैं लहराते। -2
पास मेरे सुख-दुख जब आते, गीत *खुशी* के ही गाते।
दर्दों में भी चीर निकालूं...
दर्दों में भी चीर निकालूं, खुशी की मैं झंकार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।

दुख-तकलीफें हो या हों जीवन में तेरे अंधियारा। -2
पास मेरे आ जा प्यारे, तू छोड़ के सब मेरे यारा।
तेरे हर कष्टों का यारा...
तेरे हर कष्टों का यारा, कर दूंगा संहार ।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।

*सोचो जीने आए हो या आए हो तुम मरने। -2*
*आए थे कुछ करने और तुम लगे हो कुछ ही करने।*
हंसी-खुशी और प्यार मोहब्बत...
*हंसी-खुशी और प्यार मोहब्बत, है ये जीवन सार।।*
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।

मैं गीत बनाता, गीत ही गाता और मैं करता प्यार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।
हूँ... हूँ.. हूँ...
-- *घनश्याम शर्मा*

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