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Alfaaz Alfaaz
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- Ficción
kuch ankahi kuch ansuni alfaaz
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Bulandi
दूर तक फैला समंदर...कूद पड़ मजदार मे...हिमाते मर्दा ए बन्दे...रह खुद बन जाएगी...औकात तो मन का वहम है...
आज भुज फैला के देखा...जो वर्ज हो प्रहार तो...चट्टान क्या टिक पायेगी -
Uljhano Aur Kashmakash
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ,
ए जिंदगी,
तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ..!!
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख -मिचौली का,
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ..!!
चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक,
गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ..!!
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक,
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ..!! -
Main Bojh Nahi
शाम हो गई अभी तो घूमने चलो ना पापा ………
चलते चलते थक गये कंधे पर बिठा लो ना पापा ,
अंधेरे मे डर लगता सीने से लगा लो ना पापा ,
मम्मा तो सो गई …………….
आप हो थपकी देकर सुला दो ना पापा ………….
स्कूल तो पूरी हो गई ,
अब आगे जाने दो पापा ,
पाल पोश कर बड़ा किया ……………
अब अलग ना करो पापा ………………
अब डोली मे बिठा ही दिया तो ,
आशु तो मत बहाओ ना पापा ,
आप की मुशकुराहट अछी है ……………………
एक बार मुस्कुराओ ना पापा …………………
आप ने मेरी हर एक बात मानी ,
एक बात और मन जाओ ना पापा ,
इस धरती पर बोझ नहीं मै ………..
दुनिया को समझाओ ना पापा ,
दुनिया को समझाओ ना पापा। -
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Ek Jhakmi Sainik ke dil ke Alfaaz
Ek Jhakmi Sainik ke dil ke Alfaaz
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