संधिकाल Kavitayen by Ashish Rajput
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- Arts
दो युगों के मिलने का समय सन्धिकाल होता है। इस समय मानवता संघर्ष करती है। सम्पूर्ण परिवर्तन के लिए सम्पूर्ण विध्वंश होता है। त्रेतायुग में रावण वध और राक्षसों का पूर्ण विनास त्रेतायुग और द्वापर युग के मिलने पर आया सन्धिकाल था। महाभारत युद्ध का महा विध्वंश द्वापर और कलियुग के सन्धिकाल था। कहा जाता है कि कलियुग में एक स्वर्णयुग आएगा जब भारत पुनः विजय प्राप्त करेगा। वर्तमान समय उसी स्वर्णयुग के आने से पहले आने वाले सन्धिकाल का है। यह संघर्ष का समय है। उसी पर आधारित मेरी कविता कि किस प्रकार की स्थिति अब है और भविष्य में कैसे परिस्थितियां होंगी।
दो युगों के मिलने का समय सन्धिकाल होता है। इस समय मानवता संघर्ष करती है। सम्पूर्ण परिवर्तन के लिए सम्पूर्ण विध्वंश होता है। त्रेतायुग में रावण वध और राक्षसों का पूर्ण विनास त्रेतायुग और द्वापर युग के मिलने पर आया सन्धिकाल था। महाभारत युद्ध का महा विध्वंश द्वापर और कलियुग के सन्धिकाल था। कहा जाता है कि कलियुग में एक स्वर्णयुग आएगा जब भारत पुनः विजय प्राप्त करेगा। वर्तमान समय उसी स्वर्णयुग के आने से पहले आने वाले सन्धिकाल का है। यह संघर्ष का समय है। उसी पर आधारित मेरी कविता कि किस प्रकार की स्थिति अब है और भविष्य में कैसे परिस्थितियां होंगी।
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