Razz Says raj zankar
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My podcast is talks about life, skills, management, stories, fiction, poems and so on....
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जब कलम मेरे हाथ मैं न हो तो मैं सिर्फ सआदत हसन होता हूं, जिसे न उर्दू आती हैं न फारसी - न अंग्रेज़ी.
वह अनपढ़ है - इस नजर से की उसने कभी मार्क्स को नहीं पढ़ा I लेकिन मजे की बात है कि लोग (आलोचक) यह कहते है कि वह तमाम चिंतकों से मुतासिर है I जहां तक मैं जानता हूं, मंटो किसी दूसरे के विचारों से कभी भी मुतासिर नहीं होता I वह समजता है कि समझाने वाले सब चुगद है I दुनियाँ को समझाना नहीं चाहिए, उसको स्वयं समझना चाहिए I मैं आपसे पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि मंटो, जिस पर अश्लील लिखने के नाम पर कई मुकदमे चल चुकें है, बहुत शील पसंद है I लेकिन यह भी कहे बिना नहीं रह सकता कि वह एक ऐसा पायदान है, जो हमेशा खुद को झाड़ता-फटकता रहता है I