2 episodes

Poetry

Kashyap Mantra Anand Kashyap

    • Fiction

Poetry

    एक ज़रा सी बात

    एक ज़रा सी बात

    एक ज़रा सी बात है जो तुम समझ गये तो क्या बात है ।
    एक ज़रा सी बात पर, जो तुम ना समझे तो बस ख़ाक है ॥

    एक ज़रा सी तो यादें हैं जो वहशत की तरह, जेहन में महफूज़ है I
    जो तुम उसे अपनी जीत समझ लिये तो क्या बात है
    और न समझे तो बस ख़ाक है ॥

    एक ज़रा सी तो बात है जो मैं सख्त कँटीली रास्तों पर, बेतहाशा भागूं ।
    अगर तुम मेरे रिसते पाँव के छाले में न उलझे/ देखे तो क्या बात है ॥
    जो तुम मुझे एक हारा हुआ राही ना समझे तो क्या बात है,

    मैं खुद से जुझता, लड़ता नज़र आऊं तो मुझे पागल समझना
    मेरी शोहरत को तो तुम रुसवाई, और मेरे दुखड़े को बस एक अफ़साना समझना
    बस एक ज़रा सी तो बात है जो तुम समझ गये तो क्या बात है
    और ना समझे तो ख़ाक है

    जो मैं सजदे में सर झुकाकर उठाऊं, तो तुम कहो की ये क्या जुर्रत है ।
    जो मैं बारिशों में अपनी आँखें नम करूँ तो समझो की ये कैसा मातम है ॥
    बस एक ज़रा सी तो बात है जो तुम समझ गये तो क्या बात है
    और ना समझे तो ख़ाक है
    By Anand Kashyap

    • 1 min
    ख्वाहिशें

    ख्वाहिशें

    ख्वाहिशों को कागज़ों में समेट सिरहाने में सहेज कर मत रखना
    ख्वाहिशें भी कागजों की परत की तरह टुकड़े टुकड़े में बँट जाया करती है
    जो टुकड़ों में न बंटे, तो स्याही अक्सर ही धुंधली हो जाती है

    • 2 min

Top Podcasts In Fiction

Juha | جحا
Sowt | صوت
Easy Stories in English
Ariel Goodbody, Polyglot English Teacher & Glassbox Media
قصص رون
فانز قصص رون
السهرة الإذاعية | Radio Nights
Podrama Cast
Sindbad | سندباد
Sowt | صوت
The Basement | القبو
Sowt | صوت